नई दिल्ली: तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की हाल में ही राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है।
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उसने भारत की ताकत पर सवाल खड़े करते हुए सीख दी है कि जब चीन के आंतरिक मामलों में दखल देने से पहले अमेरिका को दो बार सोचना होता है तो फिर भारत की क्या बिसात है।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत को बिगड़ैल बच्चा बताया है और कहा है कि भारत के पास महान देश बनने की क्षमता है लेकिन इस देश का विजन अदूरदर्शी है।
चीन ने इस मामले में मंगोलिया के हालिया प्रकरण का उदाहरण दिया है। बता दें कि दलाई लामा की मेहमाननवाजी कर चीनी कोप झेलने के बाद मंगोलिया ने कहा है कि वह तिब्बती धर्म गुरु को दोबारा देश का दौरा करने की इजाजत नहीं देगा।
दलाई लामा इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रपति से मिले थे। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के चिल्ड्रंस फाउंडेशन के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दलाई लामा राष्ट्रपति भवन गए थे। चीन ने जब इसका विरोध किया था तो भारत ने उसे खारिज कर दिया था। तब भारत ने कहा था कि दलाई लामा सम्मानित नेता हैं और यह मुलाकात एक गैरराजनीतिक कार्यक्रम के दौरान हुई है।
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भारत के बूते की बात की
इस तरह के मुद्दों से निपटने का भारत का रुख एक बार फिर इस देश की आकांक्षा और इसकी ताकत के बीच के अंतर को दिखाता है। यह भारत के बूते से बहुत बाहर की बात है कि वह चीन के आंतरिक मुद्दों में दखल देकर चीन के खिलाफ उसका फायदा उठाए। भारत ने चीन के खिलाफ वक्त-बेवक्त दलाई लामा कार्ड का इस्तेमाल किया है।
US कुछ नहीं तो भारत की क्या बिसात
रिपोर्ट में कहा गया कि हाल में ही ताइवान के मुद्दे पर चीन और अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बीच जो वाकया हुआ उससे भारत को सीख लेनी चाहिए।
अपने आंतरिक हितों की रक्षा के चीन के संकल्प को टेस्ट करने के लिए ट्रंप ने जो कदम उठाया और इसके बदले उन्हें जो जवाब मिला, उससे उन्हें समझ आ गया होगा कि चीन की संप्रभुता और राष्ट्रीय एकता को खंडित नहीं किया जा सकता है।
इस तरह के संवेदनशील मुद्दों और चीन के आंतरिक मामलों में दखल देने से पहले अब अमेरिका भी दो बार सोचेगा, फिर वह क्या चीज है जो भारत को इतना आश्वस्त करती है कि वह ऐसा कर सकता है?
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बिगड़ैल बच्चा है भारत
ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि भारत कभी-कभी बिगड़ैल बच्चे की तरह बर्ताव करता है और ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र’ के तमगे की वजह से काफी उत्साहित महसूस करता है। भारत के पास महान देश बनने की क्षमता है लेकिन इस देश का विजन अदूरदर्शी है। भारत, चीन की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समस्याओं का फायदा उठाकर उसके विकास को बाधित करना चाहता है जिनमें से ज्यादातर का भारत के राष्ट्रीय हितों के साथ कोई लेना-देना नहीं है।