चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति ने संविधान में संशोधन करके राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के दो कार्यकाल की समय सीमा को समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया है। हाल ही में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने वाले शी के बारे में कहा जा रहा है कि इस प्रस्ताव से वह तीसरा कार्यकाल और उसके बाद भी आजीवन राष्ट्रपति बने रहेंगे। इस पर चीन और विदेशों में चिंता और अटकलों का दौर शुरू हो गया है। चीनी क्रांति के बाद पार्टी के संस्थापक माओ जेदोंग ने भी निरंकुश सत्ता का उपभोग किया।
नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के प्रवक्ता झांग येसूई ने पहली बार पार्टी के इस फैसले पर कहा कि सीपीसी के संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति के लिए तो कार्यकाल की सीमा है, लेकिन पार्टी प्रमुख और सैन्य प्रमुख के कार्यकाल के बारे में कोई सीमा निर्धारित नहीं है। संविधान अब तक राष्ट्रपति के कार्यकाल के बारे में भी इसी परंपरा का पालन करता रहा है।
शी ने 2012 में सत्ता संभाली थी। इसके अलावा वह पार्टी और सेना के अध्यक्ष रहे। चीन में पार्टी और सेना के प्रमुख का पद महत्वपूर्ण होता है, जबकि राष्ट्रपति का पद कुल मिलाकर रस्मी होता है।
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