हाल ही में अफ्रीका से एक व्यक्ति जोसेफ कामोनजो कारियूकी के तीन गधे चोरी हो गए थे और बाद में इनके अवशेष मिले। ऐसा यहां के कई लोगों के साथ हुआ है। पशु अधिकार समूहों का कहना है ​कि चीन मे जिलेटिन की मांग काफी ज्यादा है, जिस वजह से अफ्रीकी देशों से चोरी कर गधों की खाल को चीन भेजा जा रहा है। जिलेटिन गधे की खाल से बनता है और इसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से अफ्रीका के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां के लोग कृषि कार्यों और भारी सामानों की ढुलाई के लिए गधों पर निर्भर रहते हैं।हाल ही में अफ्रीका से एक व्यक्ति जोसेफ कामोनजो कारियूकी के तीन गधे चोरी हो गए थे और बाद में इनके अवशेष मिले। ऐसा यहां के कई लोगों के साथ हुआ है। पशु अधिकार समूहों का कहना है ​कि चीन मे जिलेटिन की मांग काफी ज्यादा है, जिस वजह से अफ्रीकी देशों से चोरी कर गधों की खाल को चीन भेजा जा रहा है। जिलेटिन गधे की खाल से बनता है और इसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से अफ्रीका के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां के लोग कृषि कार्यों और भारी सामानों की ढुलाई के लिए गधों पर निर्भर रहते हैं।  पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि चीन में गधों की संख्या में कमी आने से अब इसकी आपूर्ति अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका से हो रही है।    बता दें कि अफ्रीका के 14 देशों की सरकारों ने गधे की खाल के निर्यात पर रोक लगा दी है लेकिन फिर भी गधों की संख्या में कमी आ रही है। मुनाफा कमाने के चक्कर में कई ऐसे दलाल सक्रिय हैं जो गधों का व्यापार करते हैं। गधों को पालने वाले लोगों का कहना है कि गायब हो रहे गधों के पीछे चीनी दलालों का हाथ है।  केन्या में पिछले 9 सालों में गधों की संख्या 18 लाख से घटकर 12 लाख हो गई है।  पिछले साल आई एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में 30 साल पहले गधों की आबादी 1.1 करोड़ थी, जो अब दो तिहाई घटकर 30 लाख रह गई है। गधों की आबादी बढ़ाने पर भी सरकार ध्यान नहीं दे रही है। दरअसल, चीन लंबे समय से जानवरों की हड़्डियों और खालों से दवा तैयार करता रहा है। इसें बाघ की हड्डियों, शार्क का सूप और हाथी दांत का इस्तेमाल शामिल है। गधों की खालों को भी उबालकर ई जियाओ नाम की दवा बड़े पैमाने पर बनाई जा रही है।

पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि चीन में गधों की संख्या में कमी आने से अब इसकी आपूर्ति अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका से हो रही है।

बता दें कि अफ्रीका के 14 देशों की सरकारों ने गधे की खाल के निर्यात पर रोक लगा दी है लेकिन फिर भी गधों की संख्या में कमी आ रही है। मुनाफा कमाने के चक्कर में कई ऐसे दलाल सक्रिय हैं जो गधों का व्यापार करते हैं। गधों को पालने वाले लोगों का कहना है कि गायब हो रहे गधों के पीछे चीनी दलालों का हाथ है।

केन्या में पिछले 9 सालों में गधों की संख्या 18 लाख से घटकर 12 लाख हो गई है।

पिछले साल आई एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में 30 साल पहले गधों की आबादी 1.1 करोड़ थी, जो अब दो तिहाई घटकर 30 लाख रह गई है। गधों की आबादी बढ़ाने पर भी सरकार ध्यान नहीं दे रही है। दरअसल, चीन लंबे समय से जानवरों की हड़्डियों और खालों से दवा तैयार करता रहा है। इसें बाघ की हड्डियों, शार्क का सूप और हाथी दांत का इस्तेमाल शामिल है। गधों की खालों को भी उबालकर ई जियाओ नाम की दवा बड़े पैमाने पर बनाई जा रही है।