डोकलाम को लेकर भारत से जारी तनाव के बीच चीन ने कहा कि हमारे बड़े हथियार सिर्फ खिलौने नहीं हैं. चीन ने हालांकि इसके साथ ही कहा कि उसकी नौसेना हिंद महासागर की सुरक्षा बरकरार रखने के लिए भारतीय नेवी से हाथ मिलाना चाहती है. बता दें कि चीनी नौसेना ने शुक्रवार को भारतीय मीडिया को अपना युद्धपोत यूलिन दिखाया और साथ ही वहां तैनात हथियारों की जानकारी दी.

चीन ने तटीय शहर झानजियांग में अपने सामरिक दक्षिण सागर बेड़े (एसएसएफ) के अड्डे को पहली बार भारतीय पत्रकारों के एक समूह के लिए खोला है. इसके साथ ही पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के अधिकारियों ने कहा कि हिंद महासागर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक साझा स्थान है. बता दें कि दोनों देशों के बीच डोकलाम में करीब दो महीने से तनाव चल रहा है. दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सामने खड़ी है.
हिंद महासागर की सुरक्षा में योगदान
चीन के एसएसएफ के जनरल ऑफिस के उप प्रमुख कैप्टन लियांग तियानजुन ने कहा, ‘मेरी राय है कि चीन और भारत हिंद महासागर की संरक्षा एवं सुरक्षा के लिए संयुक्त तौर पर योगदान कर सकते हैं.’ उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की जब चीन की नौसेना अपनी वैश्विक पहुंच बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर विस्तारवादी रवैया अपना रही है. उन्होंने हिंद महासागर में चीनी युद्धपोतों और पनडुब्बियों की बढ़ती सक्रियता को भी स्पष्ट किया, जहां चीन ने पहली बार ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’ में जिबूटी में एक नौसैनिक अड्डा स्थापित किया.
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चीन के बढ़ते प्रभाव में आएगी और तेजी
उन्होंने कहा कि जिबूटी के अड्डे से चीनी नौसैनिकों को आराम करने की भी जगह मिल सकेगी. लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि विदेश में चीन का पहला सैन्य अड्डा स्थापित करना अपनी वैश्विक पहुंच बढ़ाने की पीएलए की महत्वाकांक्षा के अनुसार ही है.
हिंद महासागर में तैनात चीन के सैनिकों को मिले आराम
उन्होंने कहा, ‘‘हिंद महासागर विशाल महासागर है. क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के प्रति योगदान के लिए यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए साझा स्थान है.’’ हिंद महासागर में चीन की सबमरीन्स की मौजूदगी के बारे में उन्होंने कहा- हम एंटी पायरेसी के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट देना चाहते हैं. इसके अलावा यूएन के पीस कीपिंग और रिलीफ मिशन में मदद करना चाहते हैं. ये भी कोशिश है कि हिंद महासागर में तैनात चीन के सैनिकों को यहां आराम भी मिले . इसलिए, दिबूती नेवल बेस बनाया गया है. उन्होंने यह भी साफ किया कि चीन कभी ‘‘दूसरों देशों में घुसपैठ नहीं करेगा’’, लेकिन ‘‘दूसरे देशों से बाधित भी नहीं होगा.’’
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