चौथी तिमाही में 6.2% की रफ्तार से बढ़ सकती है जीडीपी

एनएफआरए ने 2018-19 में रिलायंस कमर्शियल में पेशेवर कदाचार और ऑडिटिंग से जुड़ी खामियों के लिए दो ऑडिटर्स पर 2.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। वहीं, देश में पारा चढ़ने के साथ बिजली की अधिकतम मांग मई में 235 गीगावाट के आसपास बनी हुई है। पढ़ें कारोबार जगत की अहम खबरें-

देश की जीडीपी 2023-24 में 6.9 से 7 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ सकती है। चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च अवधि में इसकी रफ्तार 6.2 फीसदी रहने का अनुमान है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, पहली दो तिमाहियों में वृद्धि दर को कम आधार का फायदा मिला। हालांकि, तीसरी (अक्तूबर-दिसंबर) तिमाही में 8.4 फीसदी की वृद्धि दर आश्चर्यजनक थी। सरकार चौथी तिमाही और 2023-24 के लिए जीडीपी वृद्धि दर के शुरुआती अनुमान 31 मई को जारी कर सकती है।

तीसरी तिमाही में मिला था उच्च कर संग्रह का फायदा

सिन्हा ने कहा, जब हम आंकड़ों का विश्लेषण करते हैं तो पता चलता है कि जीवीए और जीडीपी के बीच अंतर है। तीसरी तिमाही में जीडीपी को बड़ा प्रोत्साहन उच्च कर संग्रह से मिला है, लेकिन चौथी तिमाही में ऐसा होने की संभावना नहीं है।

पारा चढ़ने के साथ बिजली की अधिकतम मांग 235 गीगावाट

देश में पारा चढ़ने के साथ बिजली की अधिकतम मांग मई में 235 गीगावाट के आसपास बनी हुई है। गर्मी बढ़ने और लू चलने के साथ बड़े पैमाने पर एयर कंडीशनर व कूलर के उपयोग से बिजली की मांग बढ़ी है। बिजली मंत्रालय के मुताबिक, बिजली की अधिकतम मांग 6 मई को दिन में 233 गीगावाट पहुंच गई। एक साल पहले यह 221.42 गीगावाट थी। 18 मई को अधिकतम मांग 229.57 गीगावाट तक पहुंच गई।

मंत्रालय ने इस माह की शुरुआत में अनुमान लगाया था कि मई में दिन में बिजली की मांग 235 गीगावाट और शाम के समय 225 गीगावाट तक पहुंच जाएगी। जून में दिन में इसके 240 गीगावाट और शाम के समय 235 गीगावाट रहने की संभावना है।

एनएफआरए ने दो ऑडिटरों पर लगाया 2.5 करोड़ रुपये जुर्माना

राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) ने 2018-19 में रिलायंस कमर्शियल में पेशेवर कदाचार और ऑडिटिंग से जुड़ी खामियों के लिए दो ऑडिटरों पर 2.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। नियामक ने श्रीधर एंड एसोसिएट्स पर दो करोड़ और अजय वस्तानी पर 50 लाख का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा, वस्तानी पर किसी भी कंपनी या निकाय के संबंध में कोई भी ऑडिट करने से पांच साल के लिए रोक लगाया गया है। पीडब्ल्यू ने 2018-19 के लिए ऑडिट रिपोर्ट जारी किए बिना कंपनी के ऑडिटर के पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कंपनी के बोर्ड ने जून, 2019 में श्रीधर एंड एसोसिएट्स को ऑडिटर नियुक्त किया था।

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