महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जज लोया की मौत हार्ट अटैक की वजह से 1 दिसंबर 2014 को हुई थी। इस मामले में कथित तौर पर किसी आरएसएस कार्यकर्ता के शामिल होने की बात केवल सस्ती लोकप्रियता हासिल करना है। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि एक मैग्जीन में लोया की मौत के तीन साल बाद एक लेख छपा था। जिसके अनुसार चार जिला जज लोया के साथ उस समय से साए की तरह चल रहे थे जब उन्होंने सीने में दर्द होने की बात कही और तब तक उनके आस-पास रहे जब नागपुर के अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। मैग्जीन के अनुसार लोया की मौत में आरएसएस कार्यकर्ता इश्वर बाहेटी के शामिल होने की बात कही गई थी। रोहतगी ने बताया कि राज्य की खुफिया एजेंसी ने नागपुर से तीन इश्वर बाहेटी नाम के शख्स को पकड़ा था। जिसमें से एक वह था जिसने कि लोया के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव तक पहुंचाने की व्यवस्था की। यह शख्स पिछले 30 सालों से लोया का दोस्त था और सभी घरवाले उसे अच्छी तरह से जानते हैं। यह झूठ मैग्जीन द्वारा फैलाया गया था। बता दें कि जज लोया केस की जांच चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की बेंच कर रही है। जिसमें जस्टिस एएम खानविल्कर और डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं।