जनजाति समाज के लोक संस्कृति संरक्षण पर आधारित गांगडी सियाली एलबम के गीत बाजार में जल्द उतारने की तैयारी चल रही है। स्वागत फिल्म के सहयोग से बनी इस एलबम को जौनसार के लावड़ी निवासी रचनाकार एवं गीतकार बाबूराम शर्मा ने तैयार किया है। जौनसारी व भोटिया जनजाति समाज के जीवनशैली पर आधारित इस एलबम को नया लुक देने का प्रयास किया गया है। पहाड़ी गीत की शूटिंग बुग्याल की खुबसूरत वादियों के बीच की गई। 
उत्तराखंड राज्य की दो बाहुल्य जनजाति जौनसारी व भोटिया समाज की जीवनशैली को दर्शाने के लिए गांगड़ी सियाली एलबम के नए गीतों की रचना की गई है। इसे स्वागत फिल्म के निर्माता-निर्देशक व उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के पूर्व सदस्य जाने-माने रंगकर्मी बाबूराम शर्मा लावड़ी ने तैयार किया है। उत्तरकाशी के हर्षिल चोटी पर दायरा बुग्याल की खूबसूरत व मनोहारी वादियों के बीच शूट की गई इस एलबम को यमुनाघाटी की मशहूर लोक गायिका रेशमा शाह ने भी अपनी जादुई आवाज से संवारा है।

लोक गायक बाबूराम ने कहा कि जौनसारी-भोटिया जनजाति समाज की जीवनशैली को दर्शाने वाले इस एलबम के नए गीत में पर्वतीय क्षेत्र के ऊंचे व दुर्गम इलाकों में भेड़-बकरी पालन, डांडे में जीवन की कठिनाइयां व जीजा साली के रिश्ते से जुड़े तथ्य प्र्रस्तुत किए गए हैं। इसे आशीष मंगोली ने संगीत से सजाया है।
अभिनय लोक कलाकार विजय नेगी, मन्नत नेगी, सुमन नेगी, अंजू नेगी, मीनू, मंजू व सीमा ने किया है। पहाड़ के मनमोहक दृश्य में दो जनजाति समाज की संस्कृति को जोड़ने के साथ एलबम के गीत लोक संस्कृति के संरक्षण का संदेश देंगे।
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