जन्माष्टमी के मौके पर जानिए इस्कॉन कैसे करता है कमाई

आज कृष्ण जन्माष्टमी। हिंदू धर्म ग्रंथों के मान्यता के अनुसार आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। उनके जन्मदिन के अवसर पर देश के बड़े बड़े कृष्ण मंदिरों में पूजा पाठ और मेले का आयोजन हो रहा है। इस्कॉन मंदिरों में भी रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

आपको बताते चलें कि Iskcon के देश-विदेश में सैकड़ों मंदिर है। इन मंदिर के जरिए लोगों को सनातन ज्ञान दिया जाता है। इतना ही नहीं मंदिरों से इस्कॉन की खूब कमाई भी होती है।इन सबके बीच आपको यह तो पता ही होगा कि इस्कॉन कितनी धनवान संस्था है। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर इस संगठन की कमाई कैसे होती है? आइए जानते हैं। हम आपको इस सवाल का जवाब दें इससे पहले इस्कॉन क्या है और इसे कब शुरू किया गया आइए जान लेते हैं।

क्या है ISKCON और कब हुई थी शुरु?
इस्कॉन एक अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ, कृष्ण भावनामृत पर केंद्रित एक वैश्विक आध्यात्मिक आंदोलन है। इसकी स्थापना 1966 में ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने (ISKCON Start Date) भगवद् गीता और श्रीमद्भागवतम् में वर्णित भगवान कृष्ण की शिक्षाओं का प्रसार करने के उद्देश्य से की थी। इस्कॉन को हरे कृष्ण आंदोलन के रूप में भी जाना जाता है और यह कृष्ण की भक्ति सेवा पर जोर देता है।

दुनियाभर में इस्कॉन के कितने मंदिर हैं?
इस्कॉन परिषद के अनुसार, दुनिया भर में 650 से इस्कॉन मंदिर और केंद्र हैं। इस्कॉन, या अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ, एक हिंदू धार्मिक संगठन है जिसके मंदिर, समुदाय और भक्त दुनिया भर में फैले हुए हैं। इनका संचालन करने के लिए हर महीने ही करोड़ों रुपयों की जरूरत होती है। इस्कॉन मैनेजमेंट की देखरेख में इन सभी मंदिरों का संचालन होता है।

ISKCON की कितनी और कैसे होती है कमाई?
कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर यह प्रश्न उठना लाजमी है क्योंकि आज इस्कॉन के अलग-अलग मंदिरों में लाखों के संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस्कॉन का हर एक मंदिर भगवान कृष्ण की तरह ही सजा हुआ है। जन्माष्टमी के इस मौके पर इस्कॉन मंदिर प्रशासन किसी भी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। सजावट से लेकर प्रसाद वितरण तक हर एक चीज दुरुस्त है। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर इस्कॉन की कमाई होती है कैसे है?

इस्कॉन की कमाई कई माध्यमों से होती है। इनमें मुख्यतः दान (ISKCON Temple donation flow), पुस्तक बिक्री और रेस्तरां संचालन है। इस्कॉन का प्रत्येक मंदिर स्वतंत्र रूप से संचालित होता है और अपने धन संग्रह के लिए स्वयं जिम्मेदार होता है। फिर इन निधियों का उपयोग विभिन्न गतिविधियों में किया जाता है, जिनमें मंदिर का रखरखाव, दैनिक पूजा, प्रवचन, परोपकारी कार्य और नए मंदिरों का निर्माण शामिल है।

क्या अमेरिकन संस्था है ISKCON?
हम सभी के मन में एक सवाल यह भी उठता है कि क्या इस्कॉन एक अमेरिकन संस्था है क्या। क्योंकि इसकी स्थापना अमेरिका में हुई थी। ऐसे में इस बात का उत्तर जानना जरूरी है।

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