सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह द्वारा एक न्यूज पोर्टल व उसके पत्रकारों के खिलाफ 100 करोड़ के आपराधिक मानहानि मामले में ट्रायल कोर्ट को 12 अप्रैल तक कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने ‘जिम्मेदार’ पत्रकारिता पर जोर देते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और वेबसाइट को खबर प्रसारित करते समय सतर्क रहना चाहिए। हालांकि पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं।
मालूम हो कि इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने पोर्टल और पत्रकारों को समन जारी किया है। समन को निरस्त कराने के लिए महिला पत्रकार ने गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने उसे किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने पत्रकार की याचिका पर जय शाह समेत अन्य को दो हफ्ते में जवाब देने को कहा है।
पीठ ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और वेबसाइटों को आगाह किया कि वे निराधार खबरें प्रसारित न करें। पीठ ने यह भी कि वे खुद को मंच पर बैठे पोप के समान न समझें। पीठ ने यह भी कहा कि कभी-कभी पत्रकार कुछ ऐसा लिखते हैं, जो साफ तौर पर न्यायालय की अवमानना होती है।
उन्होंने कहा, ‘मैं शुरू से बोलने और अभिव्यक्ति के अधिकार का पक्षधर रहा हूं। हम मीडिया पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगा रहे हैं और ऐसा करने का सवाल ही नहीं उठता है। लेकिन प्रेस को और जिम्मेदार होना चाहिए।’ चीफ जस्टिस ने कहा कि आखिर कोई किसी के बारे में ऐसा कैसे लिख सकता है, जैसा वह उसके बारे में सोचता है। इसकी कोई सीमा होनी चाहिए।
100 करोड़ की मानहानि का दावा ठोका
जय शाह ने वेबसाइट में प्रकाशित उस लेख के बाद उसके पत्रकारों और पोर्टल पर 100 करोड़ रुपये के आपराधिक मानहानि का केस ठोका है। लेख में दावा किया गया था कि 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद जय शाह की कंपनी का टर्नओवर बड़ी तेजी से बढ़ा। जय ने लेख में लगाए गए आरोप को खारिज करते हुए कहा कि यह मनगढ़ंत और अपमानजनक है।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features