नीतीश सरकार के विधान सभा में विश्वास मत हासिल करने के बाद बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री खुर्शीद आलम की ओर से बाहर निकलकर लगाए गए ‘जय श्री राम’ के नारे पर विवाद गहराता जा रहा है।
पटना के इमारत ए शरिया की ओर से खुर्शीद के खिलाफ जारी फतवा के बाद आलम ने सफाई देते हुए कहा कि फतवा जारी करने वालों को पहले नीयत देखनी चाहिए थी।
न्यूज एजेंसी एएनआई से खुर्शीद आलम ने कहा, ‘मैं इमारत ए शरिया का सम्मान करता हूं। उन्हें फतवा जारी करने से पहले मेरी नीयत के बारे में पूछना चाहिए था। मुझे भला क्यों डरना चाहिए?’
इमारत ए शरिया ने खुर्शिद आलम पर ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए फतवा जारी किया है। इमारत ए शरिया की ओर से जारी उर्दू में लिखित फतवे में कहा गया है कि शरिया खुर्शिद की शादी को गैरकानूनी ठहराती है और तब तक मान्यता नहीं देगी जब तक वह माफी नहीं मांगते। साथ ही फतवे में खुर्शीद आलम को इस्लाम से बाहर करने की भी चेतावनी है।
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बहरहाल, आलम ने कहा है कि अगर उन्हें बिहार के विकास और सद्भभाव के लिए उन्हें यह नारा लगाना पड़े तो वह कभी पीछे नहीं हटेंगे। खुर्शीद आलम के मुताबिक, ‘अगर मुझे बिहार के विकास और सद्भभाव के लिए ‘जय श्री राम’ का नारा लगाना पड़े तो मैं कभी पीछे नहीं हटूंगा।’
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बता दें कि खुर्शीद ने विश्वास मत के बाद मीडिया के कैमरों के सामने भी जय श्रीराम के नारे लगाए थे। उन्होंने कैमरे के सामने हाथ में बंधा रक्षासूत्र भी दिखाया था। पूछे जाने पर खुर्शीद ने कहा था कि इस्लाम में नफरत करने की जगह नहीं है। इस्लाम की बुनियाद मोबब्बत है और वह राम के साथ रहिम को भी पूजते हैं।