नई दिल्ली: कुछ शवयात्री ऐसा मानते हैं कि काशी मर्ण्यम मुक्ति यानि काशी में मृत्यु प्राप्त होना मुक्ति है। इस नगरी में मरना भी मंगलकारी होता है। काशी में शव ही शिव की मान्यता है। शव के दर्शन मात्र से बाबा का दर्शन माना जाता है।
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इसी घाट पर बाबा मृतक आत्मओं को तारक मंत्र देकर मुक्ति देते हैं। पृथ्वी पर एक मात्र ऐसा शमशान है, जिसे तीर्थ कहा जाता है। दोपहर आरती के बाद बाबा मान्यता के अनुसार शमशान पर होली खेलने आते है। यहां चिताओं से निकलने वाली अग्नि कभी बुझती नहीं है। मशाननाथ मंदिर में सदियों चिता की धूनी जलती आ रही है।
शवयात्री राकेश यादव ने बताया, चंदौली से वो माता की डेडबॉडी लेकर आए हैं। ऐसा नजारा न आज तक देखा था, न सुना था। मृतक मां को अग्नि देने वाले अनिमेष ने बताया, जहा संसार का सारा गम होता है, वही यह उल्लास महादेव की मौजूदगी को दर्शाता है।
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नागा साधू ने बताया, पृथ्वी पर एक मात्र स्थान है, जहां बाबा चिताओं के बीच साधना करने वालो की शक्तियों साधते है। मंत्रो की शक्तियों को प्राप्त किया जाता है। तंत्र साधक यहां चिताओं के बीच होली खेल कर महादेव से ऊर्जा प्राप्त करते हैं।