विवाद सुलझे तो कारोबार बढ़े
अयोध्या उद्योग व्यापार मंडल के महामंत्री नंदलाल गुप्ता कहते हैं, ‘वैष्णो देवी का कटरा तरक्की का आसमान छू रहा है, जबकि देश की सबसे बड़ी धर्मनगरी फसाद में उलझी सिसक रही है। सुप्रीम कोर्ट में मामले का जितनी जल्दी फैसला होगा, उतनी ही जल्दी यहां की सूरत बदलेगी। अब कोई फसाद नहीं चाहता, सब एक साथ मिलकर अमन और तरक्की चाहते हैं।’
विवाद के चलते अन्य कई मंदिर भी वीरान
रंगमहल मंदिर के महंत रामशरण दास कहते हैं, इस विवाद से सिर्फ श्रीराम जन्मभूमि पर विराज मान रामलला के मंदिर पर ही संकट नहीं है बल्कि अन्य कई प्रसिद्ध मंदिरों के लिए भी समस्या खड़ी है।’ वह बताते हैं कि विवादित स्थल की सुरक्षा के नाम पर लगे प्रतिबंधों के कारण श्रीरामजन्मभूमि रामकोट स्थित मानस भवन, रंगमहल, रामजन्म स्थान, राम खजाना, रामनिवास मंदिर, कैकेयी कोप भवन, सीता रसोई, लवकुश मंदिर, आनंद भवन, शृंगार भवन, कोहबर भवन, रामकृष्ण मंदिर और रंग जी का मंदिर समेत अन्य कई ऐतिहासिक स्थल वीरानी का दंश झेल रहे हैं। अधिग्रहण और सुक्षा के प्रतिबंधों के चलते आम श्रद्धालु यहां पहुंच नहीं पाते। कहते हैं कि अब मामले का हल होना जरूरी है, ताकि भक्तों के आने व ठहरने से पर्यटन के जरिए राम की अयोध्या का पुराना वैभव हासिल हो सके।
शिया बोर्ड का प्रपोजल रिकॉर्ड में आया
उत्तर प्रदेश के शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड अध्यक्ष वसीम रिजवी ने यहां जिस मसौदे पर संत-धर्माचार्यों से सहमति ली थी, वह भी कोर्ट के पटल पर है। बीते दिनों यहां आए रिजवी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में पेश इस मसौदे के मुताबिक, विवादित जगह पर राम मंदिर बनाया जाए और मस्जिद लखनऊ में बनाई जाए। इस मस्जिद का नाम राजा या शासक के नाम पर रखने के बजाए मस्जिद-ए-अमन रखा जाए। हालांकि यहां इस मसौदे पर हुई बैठक में तब मुस्लिम पक्ष के इकबाल अंसारी असहमत हो बाहर चले गए थे।
सात साल में 20 अर्जियां, 7 चीफ जस्टिस बदले
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुन्नी वक्फ बोर्ड 14 दिसंबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। फिर एक के बाद एक 20 याचिका दाखिल हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। पर, सुनवाई शुरू नहीं हुई। इस दौरान देश में सात मुख्य न्यायाधीश बदले। सातवें मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने पिछले वर्ष 11 अगस्त को पहली बार याचिका को सूचीबद्ध किया। फिर मुख्य न्यायाधीश नियुक्त न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने मामले की नियमित सुनवाई 5 दिसंबर 17 से तय की जो बाद में टलकर अब 8 फरवरी 2018 से होना सुनिश्चित हुई।
हाईकोर्ट का यह था फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन तीन बराबर हिस्सों में बांटने का ऑर्डर दिया था। अदालत ने रामलला की मूर्ति वाली जगह रामलला विराजमान को दी। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को और बाकी हिस्सा मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया था।
अधिवक्ताओं समेत पक्षकारों ने दिल्ली में डाला डेरा
सुनवाई में शामिल हाने के लिए मामले से जुड़े कई पक्षकारों व उनके अधिवक्ताओं ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है। मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब दिल्ली पहुंच गए हैं। निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास ने बताया कि उनके पक्ष से सुनवाई में शामिल होने के लिए महंत राजारामचंद्राचार्य, मुख्तार रामप्रभात सिंह, कार्तिक चोपड़ा समेत अधिवक्ता रणजीतलाल वर्मा व तरुणजीत वर्मा दिल्ली पहुंच गए हैं। बाबरी मस्जिद के मुद्दई स्व. हाशिम अंसारी के पुत्र इकबाल अंसारी दिल्ली नहीं जा पाए हैं। बताया कि उनके वकील दिल्ली में हैं। जब जरूरत होगी तो चले जाएंगे।
विवाद ने अयोध्या को विकास से दूर किया: महंत दिनेंद्र दास
निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास ने 8 फरवरी से शुरू होने जा रही सुनवाई पर कहा कि यह अच्छी बात है। अब जल्द से जल्द इस मामले का समाधान हो जाना चाहिए। हम चाहते हैं कि मामले का ऐसा हल निकले जो सर्वमान्य हो। इस विवाद ने अयोध्या को विकास से दूर किया है।
कोर्ट का निर्णय मान्य होगा: हाजी महबूब
मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब को भी उम्मीद है कि अयोध्या मामले में शीघ्र निर्णय आएगा। उन्होंने वकीलों का पैनल सुनवाई के लिए तैयार है। अभी बोलना जल्दबाजी होगी। 8 फरवरी को दो बजे के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि मामले में सुनवाई रोजाना होती है या फिर टाली जाती है। कहा कि कोर्ट को जो निर्णय आएगा वह मान्य होगा। हम अब इस मामले का समाधान चाहते हैं।
ऐसा निर्णय आए, देश में सद्भाव बना रहे : इकबाल
बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुका है, इसलिए इस मामले में ऐसा निर्णय आना चाहिए जिससे देश में अमन चैन व सद्भाव बना रहे। कहा कि यह विवाद जितनी जल्दी निपटेगा। उतनी जल्दी ही अयोध्या की सूरत बदलेगी।