जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में थोड़ी देर बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑनलाइन कार्यक्रम के जरिये स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। जेएनयू छात्रसंघ ने पीएम के कार्यक्रम के विरोध का फैसला लिया है। बुधवार देर रात छात्रसंघ ने इस बाबत सूचना जारी की। छात्रसंघ ने एक बयान जारी कर कहा कि यह छात्र विरोधी सरकार है।

जेएनयू शोधार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित तत्कालीन कुलपति ने कोई कदम नहीं उठाया। छात्रसंघ ने इस बाबत एक पोस्टर भी जारी किया। जिस पर लिखा गया है कि जेएनयू छात्रों का है। संघ की जागीर नहीं। जेएनयू छात्रसंघ के नेतृत्व में छात्र शाम पांच बजे प्रवेश द्वार पर एकत्रित होकर प्रदर्शन करेंगे। वहीं प्रशासन का कहना है कि किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
15 साल बाद साकार हुआ सपना
जेएनयू के पूर्व छात्र डॉ मनोज कुमार ने बताया कि सन 2005 में जब परिसर में जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा लगी तो छात्रों का एक दल कुलपति से मिला। छात्रों ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा स्थापित करने की गुजारिश की। लेकिन पहल मूर्त रुप नहीं ले पायी। 2014 में वर्तमान कुलपति प्रो एम जगदीश कुमार की नियुक्ति हुई। 2015 में डॉ मनोज कुमार ने कुलपति से मुलाकात कर पूर्व छात्रों की मदद से स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा स्थापित करने की गुजारिश की।
2017 में कार्यकारी परिषद में प्रस्ताव रखा गया, जिसे मान लिया गया। बकौल मनोज कुमार 2017 में प्रतिमा बननी शुरू हुई और 2019 में बनकर तैयार हुई। प्रतिमा मूर्तिकार नरेश कुमार ने बनाई है। जेएनयू में स्थापित प्रतिमा छात्रों को जिंदगी में उच्च लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सदैव तत्पर रहने का संदेश देगी। विवेकानंद की प्रतिमा 11.5 फीट लंबी है जबकि इसका चबूतरा 3 फीट ऊंचा है। यह प्रतिमा यहीं पास में स्थापित पंडित जवाहर लाल नेहरू की मूर्ति से से लगभग तीन फुट ऊंची है।
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