जानना चाहेंगे कि कानपुर को क्यों कहा जाता हैं "मैनचेस्टर अॉफ ईस्ट"

जानना चाहेंगे कि कानपुर को क्यों कहा जाता हैं “मैनचेस्टर अॉफ ईस्ट”

साल 1857 के ग़दर में कानपुर की धरती ख़ून से लाल हुई थी। समय बीता और कानपुर एक औद्योगिक नगरी के तौर पर विकसित होने लगा। कई मिलें खुलीं इनमें लाल इमली, म्योर मिल, एल्गिन मिल, कानपुर कॉटन मिल और अथर्टन मिल काफ़ी प्रसिद्ध हुईं।जानना चाहेंगे कि कानपुर को क्यों कहा जाता हैं "मैनचेस्टर अॉफ ईस्ट"

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यही असर था कि कानपुर को मिलों की नगरी के नाम से जाने जाना लगा. इतिहास की किताबों में ये शहर ‘मैनचेस्टर ऑफ़ द ईस्ट’ कहलाया जाने लगा। आज़ादी के बाद भी कानपुर ने तरक़्क़ी की। यहां आईआईटी खुला, ग्रीन पार्क इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम बना, ऑर्डनेंस फैक्ट्रियाँ स्थापित हुईंष। इस सबके बाद कानपुर का परचम दुनिया में फहराने लगा।

पर 211 साल के लंबे सफ़र में कहीं कानपुर की गाड़ी शायद पटरी से उतर गई। सिविल लाइंस स्थित लाल इमली मिल की घड़ी जो लंदन के बिग बेन की तर्ज़ पर बनी है कभी कानपुर का चेहरा हुआ करती थी। आज घड़ी तो चल रही है पर मिल की मशीनें और लूम शांत पड़ चुकी हैं।
कुछ ऐसे तथ्य जिनके बोरे में आप जरूर जानना चाहेंगे
1. कानपुर भारत में अपनी तरह ‘पल्स रिसर्च के इंडियन इंस्टीट्यूट’ में से एक हैं. जो केवल भारतीय संस्थान दाल अनुसंधान के लिए कार्यरत है और केंद्र सरकार द्वारा निर्वाहन करती है।
2. भारत के जंगल में बनाए गए प्राकृतिक चिड़ियाघरों में से कानपुर का एलन वन चिड़ियाघर एक है।
3. कोलकाता के बाद कानपुर में दूसरा सबसे पुराना 9 होल गोल्फ कोर्ट है।
4. कानपुर को रामायण काल का नगर कहा जाता है। इसकी पुष्टी तब हो गई जब जाजमऊ टीला में खुदाई के दौरान पुराने बर्तन मिले थे। कार्बन डेटिंग के मुताबिक उन बर्तनों की उम्र रामायण काल की है।  
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