जानिए कण है वृश्चिक संक्रांति, जानिए पूजा विधि..

वर्ष में 12 संक्रांति पड़ती हैं। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तब उसे संक्रांति के रूप में जाना जाता है। अगहन मास में 16 नवम्बर के दिन सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए इस संक्रांति को वृश्चिक संक्रांति के नाम से जाना जाएगा। शास्त्रों में बताया गया है कि संक्रांति के दिन पूजा-पाठ करने से और स्नान-दान करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है.

सूर्य का गोचर कब?

ज्योतिष गणना के अनुसार, सूर्य 16 नवंबर को शाम 6 बजकर 58 मिनट पर तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसी दिन वृश्चिक संक्रांति है।

वृश्चिक संक्रांति पर करें इन चीजों का दान

  • वृश्चिक संक्रांति के दिन दान करना काफी शुभ माना जाता है। वैसे तो मेष, मिथुन, कर्क और मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। लेकिन वृश्चिक संक्रांति प्रकृति, मौसम और कृषि संबंधित चीजों के लिए काफी महत्व है।
  • वृश्चिक संक्रांति के दिन जरूरतमंद या गरीब लोगों को वस्त्र और अनाज का दान करें।
  • संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने के साथ गुड़ और तिल का भोग लगाएं। इसके बाद इसे प्रसाद रूप में हर किसी को बांटना चाहिए।
  • वृश्चिक संक्रांति के दिन गौ का दान महादान माना जाता है। इसलिए आप चाहे, तो इस दिन गाय का भी दान कर सकते हैं।
  • संक्रांति के दिन कंबल, आटा, दाल आदि चीजों का दान करें।
  • व्यक्ति चाहे तो धातुओं का भी दान कर सकता है। ऐसा करने से जीवन में आने वाली हर विपत्ति टल जाती है।
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