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कुछ दिन पहले मराठा शासक पेशवा बाजीराव पर बाजीराव मस्तानी नाम से सफल फिल्म बनाने वाले भंसाली इस बार एतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ के आरोपों में घिर गए हैं। हालांकि रानी पदमावती को लेकर इतिहासकार भी एकमत नहीं हैं।
कोई रानी पदमावती के अस्तित्व को ही नकारता है तो कोई दोनों पात्रों के अलग अलग सदी में होने का दावा करता है। तो फिर रानी पदमावती को लेकर असली कहानी है क्या, आइए दस प्वाइंट्स में जानने का प्रयास करते हैं कुछ ऐसे ही तथ्यों के बारे में।
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2. इसके अलावा एक मशहूर धारणा है कि रानी पदमिनी राना रतन सिंह की धर्मपत्नी थी। साल 1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ के शासन पर हमला किया। कुछ इतिहासकार बताते हैं कि अलाउद्दीन रानी पदमावती को बंधक बनाना चाहता था।
3. इसके लिए अलाउद्दीन ने राना रतन सिंह को बंधक बना लिया और पदामवती को एक संदेश भेजा कि राजा को मुक्त किया जा सकता है अगर वह उसके साथ चलने के लिए राजी हो जाए।
4. रानी पदमावती ने राना को बचाने के लिए 700 सैनिकों को भेजा और उन्होंने सफलतापूर्वक राजा को बचा लिया। इसी बीच खिलजी राजा और सैनिकों के पीछे पीछे चल दिया।
5. इसके बाद चित्तौड़गढ़ के किले में राना और खिलजी के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमें राना मारे गए। इसके बाद खुद की आबरू बचाने के लिए राजनी पदमिनी जौहर के तहत खुद को आग के हवाले कर दिया, ताकि खिलजी उस तक न पहुंच सके।
9. इस विषय को लेकर भ्र्रम की स्थिति की एक वजह ये भी है कि, जायसी के महाकाव्य और इसके कई अनुवाद और रूपांतरों के अलावा रानी पद्मिनी की कहानी के कई अलग अलग संस्करण भी हैं।
10. 16वीं शताब्दी की गोरा बादल पदमिनी चौपाई जिसे राजपूत कहानियों को प्रस्तुत करती है, में कहा गया है कि यह एक सच्ची कहानी है। इसके अलावा 19 वीं सदी के औपनिवेशिक व्याख्याओं, और फिर कई बंगाली आख्याओं में भी राजनी पदमिनी का जिक्र बार बार आता है।