लखनऊ: आज पूरे देश में महिलाएं #KarvaChauth का व्रत कर रही हैं। करवा चौथ दिवाली से नौ दिन पहले मनाया जाता है। यह व्रत सुहागन महिलाओं के लिए होता है। दरअसल इस व्रत में महिलाएं दिन भर निर्जला रहती हैं। शाम को पूजा करने के बाद चांद का अघ्र्य देती हैं फिर पति हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं। महिलाएं यह व्रत पति की लंबी आयु की कामना के लिए करती हैं। शुरुआत में करवा चौथ का चलन पंजाब में था लेकिन धीरे -धीरे यह देश के बड़े हिस्से में मनाया जाने लगा है। बड़े पैमाने पर पंजाबी परिवारों के दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बस जाने के चलते करवा चौथ का चलन दुनिया भर में शुरू हो गया है। कई विदेशी महिलाएं भी पति की लंबी आयु की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत रखने लगी हैं।
करवा चौथ के व्रत में पूजा करने के लिए मुहूर्त का बड़ा प्रभाव माना जाता है। मान्यता है कि मुहूर्त में पूजा करने और व्रत खोलने से ही इसका लाभ प्राप्त होता है। आइए जानते हैं इस बार करवा चौथ व्रत में पूजा करने का शुभ मुहूर्त क्या है। पंचांग के मुताबिक इस बार करवा चौथ पर पूजा का मुहूर्त शाम 5.40 से 6.47 तक है। यानी व्रतधारी महिलाओं के पास पूजा करने के लिए 1 घंटे 7 मिनट का शुभ समय है। पूजापाठ के बाद करवा चौथ में चांद के दीदार और उसे अघ्र्य देना अहम प्रक्रिया होती है।
पंचांग के मुताबिक इस बार चंद्रोदय का सही वक्त शाम 7.55 बताया जा रहा है। यानी इस वक्त महिलाएं चांद का दीदार करने के लिए इस वक्त को चुन सकती हैं। करवा चौथ के व्रत में पूजा करने के लिए कुछ जरूरी सामग्री बताई गई है। परंपरा के मुताबिक करवा चौथ पर पूजा करने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन,पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे होना जरूरी माना गया है।
हालांकि ये भी माना गया है कि अगर किसी परिस्थिति के चलते पूजा की सामग्री उपलब्ध ना भी हो तो पूजा संपन्न हो सकती है। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान भाव के भूखे होते हैं। ऐसे में अगर सच्चे मन से व्रत रखा जाए तो इसका पूरा लाभ मिलता है। सभार-