भगवान विश्वकर्मा यानि इस ब्रह्मांड के रचयिता। आज हम जो कुछ भी देखते हैं वो सब भगवान विश्वकर्मा ने ही
बनाया है। माना जाता है भगवान ब्रह्मा के कहने पर विश्वकर्मा ने ये दुनिया बनाई थी। द्वारका से लेकर, भगवान शिव
का त्रिशूल भी विश्वकर्मा जी ने बनाया है।
का त्रिशूल भी विश्वकर्मा जी ने बनाया है।

भगवान विश्वकर्मा मंत्र
ॐ आधार शक्तपे नम:, ॐ कूमयि नम:, ॐ अनंतम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:
इस दिन पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि अगर कन्या संक्रांति के दिन पूरे विधि विधान के साथ पूजा
अर्चना की
जाए तो सारे कष्ट दूर हो जाते हैं, व्यापार में जो कठिनाई आ रही है वो दूर हो जाती है और धन सम्पदा घर आने लगती है।
जाए तो सारे कष्ट दूर हो जाते हैं, व्यापार में जो कठिनाई आ रही है वो दूर हो जाती है और धन सम्पदा घर आने लगती है।
पूजा विधि
-सबसे पहले सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें।
-पूजा स्थान को साफ करके प्रतिमा रखें।
-हाथ में पुष्म, और अक्षत लेकर ध्यान लगाएं।
-इस मंत्र का जाप करें।
ॐ आधार शक्तपे नम:, ॐ कूमयि नम:, ॐ अनंतम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:
– भगवान को भोग लगाएं।
-विधिपूर्वक आरती उतारें।
-अपने औजारों और यंत्र की पूजा कर हवन करें।
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