वैज्ञानिक धीरे-धीरे धरती की रहस्यमय गुनगुनाहट का रहस्य सुलझा रहे हैं। अब तक माना जाता था कि धरती ठोस और स्थित है। पर हालिया शोधों में खुलासा हुआ है कि धरती हर वक्त कांपती, सिकुड़ती और फैलती रहती है। हम भी इसके साथ हिलते रहते हैं। समुद्री लहरों का कारण भी उसकी तली की कंपकंपाहट है। गुजरात में मतदान के दिन 49 करोड़ के पुराने नोट किये गयें जब्त
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के भूकंप वैज्ञानिक स्पैर वेब धरती हर वक्त घंटी की तरह बजती रहती है। हालांकि पैरों की नीचे इसकी कंपकंपाहट को महसूस करना और इसकी धीमी गुनगुनाहट को कान से सुनना नामुमकिन है क्योंकि यह किसी पुराने टीवी की आवाज को दस हजार गुना धीमा करने जितनी आवाज करती है। वेब के मुताबिक धरती की यह गुनगुनाहट हर जगह है। अंटार्कटिका और अल्जीरिया में इन अल्ट्रा लो फ्रिक्वेंसी को रिकार्ड किया गया है। अमेरिकी जियोफिजिकल यूनियन ने इस हफ्ते घोषणा कि हिंद महासागर की तली में भी इस फ्रिक्वेंसी को रिकार्ड किया गया।
वैज्ञानिकों को कारण पता नहीं
वैज्ञानिकों को धरती की इस कंपकंपी और आवाज का कारण पता नहीं है। कुछ थ्योरी में समुद्री लहरों के टकराव, समुद्र की कंपकंपाहट और वातावरण में गति को इसका कारण बताया जाता है। अभी वैज्ञानिक इन आवाजों को सिर्फ सुनने में लगे हैं। हर बार यह ज्यादा साफ होती जा रही है। हालांकि इसकी फ्रिक्वेंसी अलग-अलग होती है।
वेब के मुताबिक 2011 में जापान में आए भयानक भूकंप के बाद पूरी धरती एक महीने से ज्यादा समय तक हिलती रही। धरती के दूसरे हिस्से तक में इसका असर रहा। पूरी दुनिया कुछ सेंटीमीटर ऊपर और नीचे हो रही थी। हालांकि यह सब इतना धीमा था कि लोगों को कुछ महसूस नहीं हुआ। यह भूकंपीय तरंग 2 से 7 मिलीहर्ट के बीच में होती है। यह मनुष्य की सुनने की क्षमता से हजारों गुना धीमी होती है।