भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनकी यादे और किस्से सदा हमारे साथ रहेंगे। अटल बिहारी वाजपेयी को लोग अक्सर उनकी रकजनितिक चतुराई और अहम् फैसलों की वजह से याद करते है। अक्सर कहा जाता है कि बीजेपी को अटल जी ने ही इस मुकाम पर पहुंचाया था। लेकिन कम ही लोग जानते है कि अटल जी की उपलब्धियों और फैसलों में एक व्यक्ति का महत्वपूर्ण योगदान है। पाकिस्तान में अटल जी को याद कर रो पड़े नवजोत सिंह सिद्धू यह व्यक्ति कोई ओर नहीं बल्कि बीजेपी के दूसरे वरिष्ठ नेता और अटल जी के अच्छे मित्र लाल कृष्ण आडवाणी है। आडवाणी और अटल बिहारी की पहली मुलाक़ात 1950 के दशक में राजस्थान में हुई थी। वाजपेयी उस समय जन संघ के अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ राजस्थान की यात्रा कर रहे थे जहाँ उनकी मुलाक़ात आडवाणी से हुई थी। अटल जी की श्रद्धांजलि का विरोध करने वाले ओवैसी के पार्षद की हुई पिटाई इसके बाद इन दोनों की दोस्ती गहराती चले गयी और एक दौर ऐसा भी आ गया जब इस जोड़ी ने देश की राजनीति को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया। इन दोनों की जोड़ी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की छवि को 'कांग्रेस विरोधी पार्टी' से निकाल कर 'देश के विकास के लिए समर्पित पार्टी' की छवि में बदल दिया जिसका ऐसा फायदा हुआ कि 1984 के लोक सभा में मात्र 2 सीटों वाली भाजपा ने 1999 में 182 सीटों से ऐतिहासिक जीत हासिल की थी।

जानिये किसने बनाया था वाजपेयी को अटल ?

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनकी यादे और किस्से सदा हमारे साथ रहेंगे। अटल बिहारी वाजपेयी को लोग अक्सर उनकी रकजनितिक चतुराई और अहम् फैसलों की वजह से याद करते है। अक्सर कहा जाता है कि बीजेपी को अटल जी ने ही इस मुकाम पर पहुंचाया था। लेकिन कम ही लोग जानते है कि अटल जी की उपलब्धियों और फैसलों में एक व्यक्ति का महत्वपूर्ण योगदान है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनकी यादे और किस्से सदा हमारे साथ रहेंगे। अटल बिहारी वाजपेयी को लोग अक्सर उनकी रकजनितिक चतुराई और अहम् फैसलों की वजह से याद करते है। अक्सर कहा जाता है कि बीजेपी को अटल जी ने ही इस मुकाम पर पहुंचाया था। लेकिन कम ही लोग जानते है कि अटल जी की उपलब्धियों और फैसलों में एक व्यक्ति का महत्वपूर्ण योगदान है।   पाकिस्तान में अटल जी को याद कर रो पड़े नवजोत सिंह सिद्धू    यह व्यक्ति कोई ओर नहीं बल्कि बीजेपी के दूसरे वरिष्ठ नेता और अटल जी के अच्छे मित्र लाल कृष्ण आडवाणी है। आडवाणी और अटल बिहारी की पहली मुलाक़ात 1950 के दशक में राजस्थान में हुई थी।  वाजपेयी उस समय जन संघ के अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ राजस्थान की यात्रा कर रहे थे जहाँ उनकी मुलाक़ात आडवाणी से हुई थी।   अटल जी की श्रद्धांजलि का विरोध करने वाले ओवैसी के पार्षद की हुई पिटाई     इसके बाद इन दोनों की दोस्ती गहराती चले गयी और एक दौर ऐसा भी आ गया जब इस जोड़ी ने देश की राजनीति को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया। इन दोनों की जोड़ी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की छवि को 'कांग्रेस विरोधी पार्टी' से निकाल कर 'देश के विकास के लिए समर्पित पार्टी' की छवि में बदल दिया जिसका ऐसा फायदा हुआ कि 1984 के लोक सभा में मात्र 2 सीटों वाली भाजपा ने 1999 में 182 सीटों से ऐतिहासिक जीत हासिल की थी।

यह व्यक्ति कोई ओर नहीं बल्कि बीजेपी के दूसरे वरिष्ठ नेता और अटल जी के अच्छे मित्र लाल कृष्ण आडवाणी है। आडवाणी और अटल बिहारी की पहली मुलाक़ात 1950 के दशक में राजस्थान में हुई थी।  वाजपेयी उस समय जन संघ के अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ राजस्थान की यात्रा कर रहे थे जहाँ उनकी मुलाक़ात आडवाणी से हुई थी। 

इसके बाद इन दोनों की दोस्ती गहराती चले गयी और एक दौर ऐसा भी आ गया जब इस जोड़ी ने देश की राजनीति को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया। इन दोनों की जोड़ी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की छवि को ‘कांग्रेस विरोधी पार्टी’ से निकाल कर ‘देश के विकास के लिए समर्पित पार्टी’ की छवि में बदल दिया जिसका ऐसा फायदा हुआ कि 1984 के लोक सभा में मात्र 2 सीटों वाली भाजपा ने 1999 में 182 सीटों से ऐतिहासिक जीत हासिल की थी।

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