कहते हैं भगवान भोलेनाथ ने अपनी सवारी नंदी को पहलगाम पर छोड़ दिया। पौराणिक कथाआें के अनुसार जब भगवान शिव अमरनाथ गुफा जा रहे थे तो उन्होंने अपनी सभी प्रिय चीजों और गणों का त्याग कर दिया था। इसमें उन्होंने सबसे पहले अपने प्रिय वाहन नंदी बैल का त्याग किया। शिव चाहते तो दुर्गम रास्ते पर नंदी को सबसे बाद में भी छोड़ सकते थे लेकिन उन्होंने सबसे पहले नंदी को छोड़ा। तब से ये स्थान पहलगांव के नाम से प्रसिद्घ हुआ, इसे पहले बैलगांम भी कहते थे।
पहलगाम के बाद अगला पड़ाव चंदनबाड़ी है, जो पहलगाम से आठ किलोमीटर की दूरी पर है। पहली रात तीर्थयात्री यहीं बिताते हैं। यहां शिवजी ने अपनी जटाओं से चंद्रमा को अलग कर दिया, जिस जगह ऐसा किया वह चंदनबाड़ी कहलाती है। वैसे कुछ लोग ये भी कहते हैं कि यहां भोलेनाथ ने माथे के चंदन को उतारा था।
गणेश का पड़ाव महागुणा पर्वत
इसके बाद का पड़ाव गणेश पड़ता है, इस स्थान पर शंकर जी ने अपने पुत्र गणेश को भी छोड़ दिया था। इसको महागुणा का पर्वत भी कहा जाता है। शेषनाग जिसके बारे में हम पहले ही बता चुके हैं, में रात्रि विश्राम के बाद यात्री महागुनस चोटी की और बढ़ते हैं। इसे महागणेश भी कहते हैं। यह चोटी 4200 मीटर से भी ज्यादा ऊंची है। असल में यह दर्रा है। इस दर्रे को पार करके हम जैसे एक दूसरी दुनिया में ही पहुंच जाते हैं।