मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर टेटिया बंबर प्रखंड के गौरवडीह गांव में भगवान के वाहनों की पूजा होती है। इस मंदिर में मां दुर्गा का वाहन शेर, गणेश के वाहन मूषक, भगवान शंकर के सांप-बैल, विष्णु भगवान के गरुड़, मां सरस्वती के हंस, माता लक्ष्मी के वाहन उल्लू की मूर्तियां स्थापित है।

इस मंदिर का नाम मनोकामना मंदिर रखा गया है। ग्रामीण भगवान की पूजा करने के बाद इस मंदिर में पहुंचकर यहां वाहनों की पूजा करने पहुंचते हैं। इस मंदिर का निर्माण सेवानिवृत्त शिक्षक विनोद कुमार सिंह ने तीन वर्ष पूर्व घर के परिसर में कराया है। शिक्षक का मानना है कि हम सभी देवताओं की पूजा करते हैं, लेकिन उनके वाहनों को भूल जाते हैं
सभी अपने काल में श्रेष्ठ ऋषि और देव रहे हैं। संकष्टी गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के साथ इस मंदिर में उनके वाहन की पूजा की तैयारी चल रही है। इस मंदिर में राज्य के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, विधायक से लेकर अधिकारी तक पूजा करने पहुंच चुके हैं। शिक्षक का दावा है कि पूर्व बिहार के जिलों में इस तरह का मंदिर नहीं है। उनके मन में अनायास इस तरह का मंदिर बनाने का ख्याल आया था।
हर दिन बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंचती है पूजा करने
गौरवडीह में बने मनोकामना मंदिर में पूजा करने के लिए हर दिन महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंचती है। मंदिर का द्वार श्रद्धालुओं के लिए सुबह छह बजे ही खुल जाता है। महिलाएं भगवान की मंदिर का पूजा करने के बाद यहां उनके वाहनों की पूजा करते हैं। महिलाएं सभी वाहनों को अगरबत्ती से धूवन से पूजा करती हैं। यह मंदिर जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस तरह का मंदिर दूसरी जगह नहीं है।
मनोकामना मंदिर में होती है मुरादें पूरी
मंदिर में पूजा करने पहुंची महिला संध्या देवी, आरती देवी, श्यामा देवी ने का कहना है कि भगवान का मंदिर तो गांव-गांव में है। लेकिन, उनके वाहनों का यह एक इकलौता मंदिर है। यहां मन से मांगने पर हर मुरादें पूरी होती है। महिला श्रद्धालुओं ने बताया कि उनके घर में कुछ ठीक नहीं चल रहा था। भगवान की पूजा करने के बाद यहां उनके वाहनों की पूजा करने लगे। सच्चे मन से जो मांगे वह पूरा हुआ। गुरुवार को संकष्टी गणेश चतुर्थी है, इस दिन भगवान गणेश के वाहनों की पूजा विशेष रूप से होगी। गणेश के वाहन मूषक की पूजा होगी।
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