यहां सात साल की मासूम उम्र में पांच साल के भाई से झगड़ा करके घर से रूठ कर निकली बच्ची रास्ता भटक गई। आगे जाकर फुटबाल चौक पर रोने लगी। पड़ोस में चाय की दुकान लगाने वाला व्यक्ति तुरंत सारा माजरा समझ गया। उसने बच्ची से प्यार से बात की। हालांकि मासूम घर का पता भी नहीं पता सकी। सिर्फ इतना कहा कि पापा फैक्ट्री में काम करते हैं। इसके बाद चायवाले ने पुलिस को जानकारी दी। पुलिस ने मां-बाप खोजने में पूरी दम लगा पर नहीं मिले। इसके बाद सारी रात बच्ची नारी निकेतन में रखी गई। सुबह घरवालों का पता लगाकर उन्हें सौंप दिया गया।
थाना चार के एएसआई सुरिंदर सिंह ने बताया कि बुधवार को सूचना मिली थी कि एक बच्ची जो खो गई है, फुटबॉल चौक के पास रो रही है। वे मौके पर पहुंचे और बच्ची को बहलाकर घर का पता पूछा। जब वह कुछ नहीं बता पाई त उसे रात में नारी निकेतन में भेज दिया। वीरवार पूरे दिन वह बच्ची के परिजनों को ढूंढते रहे। फुटबॉल चौक के आसपास के सारे इलाके घूमे और घर-घर जाकर पता किया कि कहीं से कोई बच्ची लापता तो नहीं हुई। पता चला कि अशोक नगर में रहने वाले फैक्ट्री कर्मी गुमान सिंह, कर्मी जो मूल रुप से नेपाल का रहने वाला है, की सात साल की बच्ची सुषमा खो गई है। उन्होंने गुमान सिंह और उसकी पत्नी सीता रानी को साथ ले जाकर बच्ची की पहचान करवाई। फिर उसे उनके हवाले कर दिया। अपनी लाडली को देखकर माता-पिता के चेहरे पर रौनक फिर लौट आई।
चायवाले की दरियादिली ने घर तक पहुंचाया
फुटबॉल चौक से बस्ती अड्डा रोड के बीच चाय की दुकान चलाने वाले एक व्यक्ति को सबसे पहले यह बच्ची मिली थी। बच्ची जोर-जोर से रो रही थी। उसे रोता देख वहां से निकल रहे लोग भी खड़े हो गए। उन्होंने बच्ची को कोल्ड ड्रिंक दी और चॉकलेट ले कर दी। बच्ची के चुप करने के बाद सारे लोगों ने उससे काफी देर तक उसके घर का पता पूछा, लेकिन वह कुछ खास नहीं बता पाई। वह सिर्फ इतना ही कहा, उसके पापा एक फैक्ट्री में काम करते हैं और वह आगे ही कहीं रहती है। इससे ज्यादा बच्ची को कुछ नहीं पता था। काफी प्रयास करने के बाद भी कुछ पता नहीं चला तो लोगों ने थाना चार की पुलिस को सूचित किया। जिसके बाद बच्ची को नारी निकेतन भेजा गया।