लखनऊ में जाली नोटों की दो मास्टरमाइंड बहनें क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ी हैं। इनकी करतूतें जानकर पुलिस भी सन्न रह गई। एएसपी क्राइम डॉ. संजय कुमार ने बताया कि दो बहनों ने साथी की मदद से 30 प्रतिशत कमीशन पर लाखों की पुरानी करेंसी स्कैनर से छापे जाली नोटों से बदल डाली। नए नए नोटों की किल्लत में कमी आने पर जाली नोट खपाने के लिए एजेंट बनाने शुरू किए।
दो हजार के 28 व पांच सौ के 302 जाली नोट व पांच सौ के 31 पन्ने अधबने नोटों के साथ बृहस्पतिवार को गिरफ्तार की गई विनीता पांडेय, ऋतु त्रिपाठी व मो. खालिद से गहन पूछताछ की गई।
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तीनों ने कुबूला कि दो हजार व पांच सौ के नए नोट आते ही उन्होंने स्कैन करके कलर प्रिंटर के जरिये जाली करेंसी छापनी शुरू की थी। सबसे पहले दो हजार का जाली नोट छापकर एक दुकान पर चलाया। इंपोर्टेड कागज पर छपा जाली नोट हूबहू असली जैसा नजर आ रहा था। आसानी से चल जाने पर उन्होंने धड़ल्ले से नोट छापने शुरू किए।
बड़ी संख्या में जाली नोट बाजार में खपाने के बाद अब एजेंटों के जरिये अन्य शहरों में सप्लाई की तैयारी की थी। पुलिस ने दो लैपटॉप, स्कैनर, प्रिंटर के साथ 2.03 लाख रुपये के जाली नोट व पांच सौ के अधबने नोट, नोट छापने का कागज व अन्य सामान बरामद किया है।
नया नोट हाथ आते ही शुरू किया खेल
स्वाट टीम के इंचार्ज धीरेंद्र शुक्ला ने बताया कि नवंबर के दूसरे सप्ताह में अलीगंज के मेंहदी टोला निवासी मो. खालिद को बैंक से दो हजार का नया नोट हासिल करने में सफलता मिली।
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उसने अपनी दोस्त विनीता के घर जाकर उसे दो हजार का नोट दिखाया। प्रिंटिंग का छुटपुट काम करने वाली विनीता व उसकी बहन ऋतु ने उसे स्कैन करके इंपोर्टेड कागज पर प्रिंट निकाला।
उसे असली नोट के आकार का काटकर घर से निकली और एक दुकान से खरीदारी करके जाली नोट चला दिया। नोटबंदी को लेकर हायतौबा को देखकर तीनों लोगों ने जाली नोट खपाने की साजिश रची।
अनेक लोगों से 30 प्रतिशत कमीशन पर एक हजार व पांच सौ के पुराने नोट लेकर जाली नोट थमा दिए। इसके बाद पांच सौ का नया नोट हाथ लगने पर उसे भी छापकर बाजार में खपाने लगे।
एक ही नंबर के कई जाली नोट
सर्विलांस सेल प्रभारी अक्षय कुमार ने बरामद जाली करेंसी की गहन छानबीन के साथ तीनों आरोपियों से पूछताछ की। खुलासा हुआ कि एक साथ तीन असली नोट स्कैन करके उनसे बड़ी संख्या में जाली नोट छापे जाते थे। इस तरह एक ही नंबर के कई जाली नोट छापकर उन्हें बाजार में खपाया जा रहा था।
इतनी सावधानी रखते थे कि एक ही नंबर के दो नोट किसी एक व्यक्ति के हाथ न लगें। एक व्यक्ति को अधिकतम पांच सौ व दो हजार के तीन-तीन नोट देते थे। जालसाजों ने दस हजार के पुराने नोटों के एवज में अनेक लोगों को सात हजार के जाली नोट थमाकर मोटी कमाई की। पुरानी करेंसी को बैंक में बदला और खाते में भी रुपये जमा किए।पुलिस टीम को अर्दब में लेने की कोशिश
एएसपी डॉ. संजय कुमार ने बताया कि महिला कांस्टेबल को साथ लेकर क्राइम ब्रांच की टीम ने विनीता के घर दस्तक दी। उसने खुद को एक चैनल का ब्यूरो चीफ बताकर टीम को अर्दब में लेना चाहा। जाली नोटों को लेकर तलाशी की बात पर सर्च वारंट मांगने लगी। इस बीच उसे पता चला कि कुछ देर पहले जाली नोटों का सौदा करने आया व्यक्ति क्राइम ब्रांच का सिपाही है तो वह गलती मानने लगी।
कमीशन पर नोट बदलने वालों की छानबीन
एएसपी क्राइम ने विकासनगर थाने के इंस्पेक्टर अतुल कुमार तिवारी व एसएसआई राजेंद्र सिंह को उन लोगों का पता लगाने के निर्देश दिए जिन्होंने विनीता, ऋतु व मो. खालिद से 25-30 प्रतिशत कमीशन पर पुराने नोट बदले थे। उन्हें पता नहीं था कि जालसाजों ने जो कड़क नोट थमाए हैं वे जाली हैं।
जाली नोट में वॉटरमार्क के भीतर गांधीजी की तस्वीर नजर नहीं आती। सिल्वर लाइन पर दो हजार रुपये नहीं लिखा था और छपाई में असली नोट जैसा उभार नहीं था। माना जा रहा है कि लोगों ने कड़क कागज की वजह से जांच परखे बगैर नए नोट लेकर पुरानी करेंसी दे दी। धोखाधड़ी का शिकार बने लोगों से जाली नोटों की बरामदगी की कोशिश जारी है।
बैंक खातों की होगी छानबीन
एसएसपी मंजिल सैनी ने क्राइम ब्रांच की टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा के साथ कहा कि विनीता, ऋतु व मो. खालिद के बैंक खातों की छानबीन के आदेश दिए गए हैं। नोट बंदी के बाद उन्होंने अपने अकाउंट में कितनी रकम जमा की। इसके अलावा तीनों व्यक्तियों के द्वारा दो महीने में की गई खरीदारी का भी ब्यौरा जुटाया जा रहा है।