दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को 2009 के जिगिशा घोष हत्या मामले में दो अपराधियों की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. न्यायमूर्ति एस.मुरलीधर और न्यायमूर्ति आई.एस. मेहता की खंडपीठ ने निचली अदालत द्वारा रवि कपूर और अमित शुक्ला को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया.
मौत की सजा के आरोपियों ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. निचली अदालत ने 14 जुलाई 2016 को आईटी अधिकारी जिगिशा घोष की हत्या के लिए दोनों को दोषी ठहराया था. निचली अदालत ने दोनों को मौत की सजा सुनाते हुए कहा था कि 28 वर्षीय महिला की ‘निर्मम व अमानवीय तरीके’ से हत्या की गई.
ट्रायल कोर्ट ने दोषी रवि कपूर और अमित शुक्ला को फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला. तीसरे दोषी बलजीत मलिक को उम्रकैद की सजा बरकार रहेगी. बताते चलें कि हत्या के सात साल बाद इस मामले में दोषियों को सजा सुनाई गई थी. कोर्ट ने इस केस को रेयरेस्ट ऑफ रेयर मानते कहा कि अपराधियों ने जिगीषा के साथ हैवानियत की है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीशने कहा था कि तीनों अभियुक्त रवि कपूर, अमित शुक्ला और बलजीत सिंह मलिक के खिलाफ मामला साबित हो गया है. परिस्थिति जन्य सबूतों से यह पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि तीनों दोषियों ने ही हत्या के लिए जिगिशा का अपहरण किया था. तीनों आरोपियों के व्यवहार के संदर्भ में रिपोर्ट मांगी गई थी.
बताते चलें कि ऑपरेशन मैनेजर के रूप में कार्यरत 28 वर्षीय जिगिषा की 18 मार्च, 2009 को अपहरण कर हत्या कर दी गई थी. ऑफिस कैब ने जिगिशा को सुबह लगभग चार बजे दिल्ली के वसंत विहार में उसके घर के पास छोड़ा और वहीं से उसका अपहरण कर लिया गया था. इसके बाद वारदात को अंजाम दिया गया.
हत्याकांड का घटनाक्रम
18 मार्च, 2009: वसंत विहार स्थित घर के निकट सुबह चार बजे कैब से उतरने के बाद जिगिशा को अगवा किया गया.
20 मार्च, 2009: जिगिशा का शव हरियाणा के सूरजकुंड के पास एक जगह से बरामद किया गया.
23 मार्च, 2009: हत्याकांड में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया.
जून 2009: दिल्ली पुलिस ने मामले में तीन लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.
15 अप्रैल, 2010: दिल्ली की अदालत में मामले की सुनवाई शुरू हुई.
5 जुलाई, 2016: दिल्ली की अदालत ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा.
14 जुलाई, 2016: दिल्ली की अदालत ने तीन लोगों को दोषी करार दिया.