देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है। इनमें सबसे ज्यादा निगाहें यूपी चुनाव पर टिकी हैं। केन्द्र की बीजेपी सरकार भी यहां जीत कर अपना वनवास खत्म करना चाहती है। इस बीच खबर आई है कि भाजपा के चुनाव जीतने के लिए अपनी ‘रंगत’ में लौटने वाली है। हालांकि पार्टी का कहना है कि वह पीएम मोदी और विकास के सहारे जीतेंगे।
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अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बीजेपी यूपी में हिंदुत्व के दम पर जीत चाहती है, जैसा लोकसभा चुनाव 2014 में हुआ था। इस बारे में पार्टी नेताओं का कहना है कि भाजपा हर सीट पर रणनीति के मुताबिक कैंडिडेट उतारेगी। जैसे जिन 97 सीटों पर बसपा ने मुस्लिम कैंडिडेट्स को टिकट दी है। उनपर पार्टी की रणनीति बाकी सीटों से अलग होगी।
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14 साल से वनवास झेल रही बीजेपी के नेता भी यूपी चुनाव से पहले चिंतित हैं। वे कांग्रेस को दौड़ में देख ही नहीं रहे। उन्हें कांग्रेस-सपा-आरएलडी के संभावित गठबंधन से भी कोई खास फर्क नहीं पड़ेने वाला। बीजेपी की चिंता मुस्लिम वोच को लेकर है। इसके लिए भाजपा मुस्लिम वोट को सपा और बसपा में कैसे बांटे जाएं, इस पर ध्यान दे रही है।
वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो वह किसी तरह गठबंधन करके अपने आपको बचाना चाह रही है। शीला दीक्षित ने भी सपा से संभावित गंठबंधन पर बयान दिया था। वहीं अगर सपा टूटती भी है तो भी फायदा बीजेपी को होता दिख रहा है। क्योंकि भाजपा का प्लान यही रहेगा कि किसी भी तरह मुस्लिम वोटों को बांटा जाए।
यूपी चुनाव में विपक्षी पार्टियां का सिर्फ एक मकसद है ‘बीजेपी को रोको’। इसकी कई वजह भी हैं। क्योंकि बीजेपी जीत गई तो राष्ट्रपति चुनने के लिए उसके पास बहुमत बढ़ जाएगा।