जीएसटी काउंसिल की बैठक में शनिवार दो बड़े मुद्दों पर फैसले लिए जा सकते हैं। पहला यह कि वो वस्त्र निर्माण उद्योग से जुड़े कामों में टैक्स की दर को घटाकर 5 फीसद किया जा सकता है और दूसरा ट्रांसपोर्ट किए जाने से पहले एक मूल्य वर्ग से ऊपर के गुड्स के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए नया तंत्र विकसित किया जा सकता है। वहीं केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) की अध्यक्ष वनजा सरना ने कहा कि राज्यों के बीच माल की आवाजाही ने 29 राज्यों में से 25 राज्यों की जांच चौकियों को खत्म कर दिया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल जिसमें अन्य राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं, 1 जुलाई से लागू किए गए वस्तु एवं सेवा कर कानून (जीएसटी) के कार्यान्वयन की समीक्षा भी करेगी। साथ ही काउंसिल उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए एंटी-प्रॉफिटियरिंग प्रावधान को लागू करने के लिए एक तंत्र को अंतिम रूप भी दे सकती है। एंटी प्रॉफिटियरिंग कानून कहता है कि कम कर दरों के कारण कंपनियों को जो फायदा मिलने वाला है उसे ग्राहकों तक पहुंचाया जाए।
जीएसटी एक्ट के क्लॉज 171 के मुताबिक टैक्स की दर में कमी या इनपुट टैक्स क्रेडिट के कारण मिलने वाले लाभ को उपभोक्ताओं तक पास करना अनिवार्य है। कीमतों पर जीएसटी के प्रभाव के संबंध में सदस्यों द्वारा उठाए गए चिंताओं का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि निर्माताओं का उपभोक्ताओं को करों में कमी के से मिलने वाले लाभों को पास करना अनिवार्य होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट के लाभ के कारण ऑटोमोबाइल क्षेत्र की ओर से कीमतों में कटौती का निर्णय दूसरे निर्माताओं की ओर से भी लिया जाएगा।
गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल ने 18 बैठकों के जरिए वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर की दरों का निर्धारण किया था। जीएसटी लागू होने के बाद भी काउंसिल एक बैठक कर चुकी है और यह काउंसिल की 20वीं बैठक होगी।
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