नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के इतिहास में ऐसा पहला मामला सामने आया है, जब यहां छात्र संघ चुनाव कराने वाली संस्था इलेेक्शन कमीशन (ईसी) जिसका संचालन पूर्णत: यहां के छात्र करते हैं उन्होंने जेएनयू कुलपति (वीसी) द्वारा दिए गए चाय के आमंत्रण को ठुकरा दिया है।
इसके पीछे की प्रमुख वजह यह बताई है कि जेएनयू की यह परंपरा है कि जब चुनाव आयोग छात्र संघ चुनाव संपन्न कराता है तो कुलपति इसके सभी सदस्यों को एक प्रमाणपत्र देते हैं। यह एक सम्मानित प्रमाणपत्र होता है। इसे लेकर चुनाव आयोग गौरवान्वित महसूस करते हैं। उसके बाद कुलपति सभी सदस्यों को चाय पर बुलाता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।
चुनाव आयोग की अध्यक्ष इतिशा मन्ना ने बताया कि इस वर्ष कुलपति ने चुनाव आयोग के सभी छात्रों के प्रमाणपत्रों पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया और कहा कि यह काम डीन स्टूडेंट वेलफेयर का है इसलिए हम लोगों ने भी चाय पीने से मना कर दिया।
हालांकि, एक अन्य सदस्य का कहना है कि जेएनयू प्रशासन द्वारा हम लोगों पर चुनाव के समय काफी दबाव था जैसे कि चुनाव स्कूलों में न होकर कन्वेंशन सेंटर में हो, बैलेट से हो कर इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन से हो। लेकिन हम लोगों ने यह मानने से इंकार कर दिया क्योंकि इसे अपनाने की एक प्रक्रिया है जो जेएनयूएसयू के संविधान के अनुसार आसान नहीं है। इसके लिए आम सभा बुलानी पडती है।
चुनाव आयोग के एक अन्य सदस्य का कहना है कि 1971 से लेकर जब तक चुनाव हुए हैं कुलपति यह हस्ताक्षर करके छात्रों को देता था इस बार ऐसा न किया जाना हमारा अपमान है। यह सदस्यों के मनोबल को गिराने वाला है। इसलिए हम लोगों ने कुलपति के साथ चाय पीना उचित नहीं समझा।
JNU में हास्टल के लिए शुरू हुई भूख हडताल
जेएनयू में हास्टल के मुद्दे पर कुछ छात्रों द्वारा अनिश्चित कालीन भूख हडताल शुरू हुई। ज्ञात हो कि कुछ छात्र पहले विरोध स्वरूप प्रशासनिक भवन के सामने टेंट लगाकर रह रहे थे। जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों ने इस मसले पर बृहस्पतिवार को गंगा ढाबा से लेकर प्रशासनिक भवन तक मार्च भी निकाला।
कुलपति ने ट्वीट कर कहा कि अब तक कुल 16 से अधिक छात्र छात्राओं को हास्टल दे दिया गया है। जिन छात्रों को हास्टल अभी नहीं मिल पाया है, वह डीन से संपर्क करें। उन्होंने कहा कि जो डारमेटरी बनी है उसमें भी छात्रों को जगह दी जाएगी।