महाराष्ट्र सरकार ने जल्द ही राज्य के जेल में बंद 5000 कैदियों को रिहा करने का फैसला किया है। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने पुलिस महकमे को आदेश जारी किया है। सरकार ने उन कैदियों को रिहा करने का फैसला किया है जिन पर छोटे-मोटे अपराध के मामले दर्ज हैं। राष्ट्रपति चुनाव में हुआ बड़ा बदलाव, अब महाराष्ट्र में अब नहीं आएगा राजनीतिक भूकंप…
सरकार ने पुलिस प्रशासन से उन 700 कैदियों के बेल के इंतजाम के लिए भी कहा है जिन्हें बेल तो मिल गई है, लेकिन पैसे न होने के कारण वह जेल में रहने के लिए मजबूर हैं।
सरकार का यह फैसला हाल में भायकुला महिला जेल में हुए उपद्रव के बाद आया है। इस उपद्रव में जेल की छह वार्डन घायल हो गई थे। कैदियों का यह उपद्रव उनके एक साथी की मौत के बाद भड़का था। कैदियों का आरोप था कि उनके साथी की मौत जेल प्रशासन के लोगों की पिटाई से हुई थी।
कैदियों को रिहा करने का फैसला अतिरिक्त प्रमुख सचिव एस के श्रीवास्तव द्वारा बुलाई गई बैठक में लिया गया। गुरुवार को हुई इस बैठक में कई बड़े अधिकारी भी शामिल थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार श्रीवास्तव ने बताया कि सभी मामलों का ज्वाइंट रिव्यू किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि यह कदम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उठाया गया कि जिसमें उन कैदियों को छोड़ने की बात कही गई जिन्होंने सात साल से ज्यादा की सजा काट ली है। बता दें कि राज्य की जेलों में फिलहाल करीब 29 हजार कैदी बंद हैं। 24 हजार विचाराधीन कैदियों में 5 हजार से ज्यादा कैदी ऐसे हैं जिन पर गंभीर छोटे मोटे अपराध के आरोप हैं।