जोड़ो और राज करो के यह एक पुरानी नीति है। लेकिन यह ट्रिक आज भी सार्थक सिद्ध हो रही है। चुनाव से पहले यह स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगता है। सभी पार्टियां एक दूसरे के प्रभावशाली और जिताऊ कैंडिडेट को तोड़कर अपनी पार्टी में जोड़ने का प्रयास करने लगते हैं। बीजेपी सरकार आने पर जोड़ तोड़ की राजनीति में काफी तेजी देखी गई है।
बीजेपी ने विधानसभा चुनाव 2022 में भी दूसरी पार्टियों के बड़े और जीताऊ नेताओं को पार्टी में शामिल करने का अभियान चलाया था। कई विपक्षी नेताओं को पार्टी ने टिकट देक मैदान में उतारा था। इससे पार्टी को काफी फायदा भी हुआ। वहीं, चुनाव से पहले पार्टी में शामिल हुए राकेश सचान को कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया।
निकाय चुनाव से पहले दारा सिंह चौहान के साथ-साथ अन्य कई बड़े चेहरों को पार्टी में शामिल किया गया था। जिससे पार्टी को बड़ी सफलता मिली। यूपी के सभी 17 नगर निगमों में बीजेपी ने अपना झंडा गाड़ दिया।
अब लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी यही दांव खेलने जा रही है। बीजेपी ने सभी जिला अध्यक्षों और बड़े नेताओं को जिले में विपक्ष के प्रभावशाली नेताओं को चिन्हित करने के लिए कहा है, जो भाजपा में शामिल हो सके। इसके अलावा ऐसे नेताओं को भी चिन्हित किया जा रहा जो पार्टी से दरकिनार कर दिए गए हैं या नाराज चल रहे हैं। जिला स्तरीय नेताओं को जिला मुख्यालय पर और प्रदेश स्तर के नेताओं को प्रदेश मुख्यालय में शपथ दिलाने की तैयारी है।
इसके लिए प्रदेश कमेटी गठित की जा रही है। जिलों से भेजे गे सभी नामों का प्रस्ताव कमेटी को भेजा जाएगा। कमेटी सभी नामों पर जांच करने के बाद अपनी संस्तुति प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह को देगी। इन दोनों के हरी झंडी के बाद नेताओं को पार्टी में शामिल कर लिया जाएगा।