ज्ञानवापी परिसर के एसएसआई से सर्वे की तिथि चार बार बढ़ाई गई। जिला जज की अदालत ने पहले चार अगस्त तक सर्वे पूरा करने का आदेश दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मामला सुप्रीम कोर्ट, फिर हाईकोर्ट पहुंच गया। इस कारण सर्वे शुरू होने में देरी हुई। लिहाजा, चार अगस्त को दूसरी बार सर्वे की तिथि बढ़ाने की मांग की रखी गई, फिर सिलसिला चलता रहा।
जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बीते 21 जुलाई को सात पेज के आदेश में कहा था कि एएसआई चार अगस्त तक सर्वे रिपोर्ट दाखिल करे। एएसआई ने 24 जुलाई को सर्वे शुरू किया, लेकिन उसी दिन रोक लग गई। बाद में चार अगस्त से सर्वे शुरू हुआ। इस बीच एएसआई ने सर्वे के लिए चार सप्ताह का अतिरिक्त समय मांग लिया।
इस पर अदालत ने दो सितंबर तक का समय दिया। दो सितंबर को एएसआई ने अदालत से आठ सप्ताह का समय और मांगा मांगा। इस पर आठ सितंबर को अदालत ने चार सप्ताह का समय देते हुए एएसआई को छह अक्तूबर तक का समय दिया।
पांच अक्तूबर को एएसआई के आवेदन पर अदालत ने चार सप्ताह का अतिरिक्त समय फिर दिया, जो सात अक्तूबर से प्रभावी हुआ। दो नवंबर को एएसआई ने अदालत को बताया कि सर्वे का काम पूरा हो गया है।
आखिरी बार मिली 18 दिसंबर की तारीख
एएसआई ने रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार बार मांगी मोहलत एएसआई ने सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार बार मोहलत मांगी है। दो नवंबर को एएसआई के अनुरोध पर अदालत ने 15 दिन का समय दिया। 17 नवंबर को एएसआई ने फिर 15 दिन का अतिरिक्त समय मांगा। इस पर अदालत ने 10 दिन की मोहलत देते हुए 28 नवंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। 28 नवंबर को एएसआई ने फिर 21 दिन का अतिरिक्त समय मांगा।
इस पर 30 नवंबर को अदालत ने 10 दिन की मोहलत देते हुए 11 दिसंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश एएसआई को दिया। 11 दिसंबर को एएसआई ने सुपरिटेंडिंग ऑर्कियोलॉजिस्ट का ब्लड प्रेशर बढ़ने और तबीयत खराब होने का हवाला देकर रिपोर्ट दाखिल करने में असमर्थता जताते हुए एक हफ्ते का समय मांगा। इस पर अदालत ने 18 दिसंबर को रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।
21 जुलाई को सर्वे आदेश, अब दाखिल हुई रिपोर्ट
जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी परिसर के एएसआई से सर्वे कराने का आदेश दिया था। तब से 18 दिसंबर तक 151 दिन हो गए।
अदालत के आदेश पर 24 जुलाई को सर्वे शुरू हुआ था, लेकिन अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगा दी थी। साथ ही मसाजिद कमेटी को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने की सलाह दी। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो सुनवाई चलती रही। हाईकोर्ट ने दोबारा चार अगस्त से सर्वे शुरू करने का आदेश दिया। यह सर्वे दो नवंबर तक चला, फिर रिपोर्ट बनाने और उसे दाखिल करने की प्रक्रिया चली। इसमें करीब 151 दिन का समय लगा।
ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट: कचहरी में तरह-तरह चर्चाएं और दावे
ज्ञानवापी की सीलबंद सर्वे रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई है। मगर, इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं और दावे कचहरी परिसर में किए गए। कुछ अधिवक्ताओं का दावा था कि रिपोर्ट 1500 पेज की और चार खंड में है। कुछ अन्य का दावा था कि 1000 पेज से ज्यादा की रिपोर्ट है। रिपोर्ट के साथ सीडी, हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव भी अदालत में जमा की गई है।
कुछ ने यह दावा किया कि हैदराबाद की जीपीआर टीम ने अपनी रिपोर्ट अमेरिका में तैयार की है। चर्चाओं और दावों का यह दौर सोमवार का अदालती कामकाज खत्म होने के बाद भी जारी रहा। वहीं, इन सबसे परे एएसआई के अफसरों और अधिवक्ताओं ने अदालत के आदेश का सम्मान करने की बात कहते हुए सर्वे रिपोर्ट के संबंध में कुछ भी कहने से साफ इन्कार कर दिया।
सुरक्षा के तगड़े इंतजाम
ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट दाखिल किए जाने के दौरान जिला जज की अदालत में वादी-प्रतिवादी और उनके अधिवक्ता मौजूद रहे। वहीं, इस दौरान अदालत कक्ष के बाहर सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए थे।
याचिकाकर्ता महिलाएं बोलीं-महादेव जरूर मिलेंगे
सिविल कोर्ट परिसर में वादिनी सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी ने कहा कि हमारे महादेव जरूर मिलेंगे। सर्वे रिपोर्ट से ज्ञानवापी का सच दुनिया के सामने आएगा। वैज्ञानिक तरीके से यह प्रमाणित हो जाएगा कि आदि विश्वेश्वर के मंदिर का ऊपरी हिस्सा ध्वस्त कर उसके ऊपर जबरन मस्जिद बनाई गई थी।