ज्येष्ठ सोमवार पर बन रहे हैं कई शुभ योग, पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार आज के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। ऐसे में एस्ट्रोपत्री डॉटकॉम के पंडित आनंद सागर पाठक जी से जानते हैं आज का (Aaj ka Panchang 02 June 2025) पंचांग व शुभ-अशुभ मुहूर्त के विषय में। आज सोमवार 02 जून के दिन ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। इस शुभ तिथि पर देवों के देव महादेव की पूजा की जा रही है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। साधक मनचाही मुराद पाने के लिए सोमवार के दिन व्रत भी रखते हैं। ऐसे में आइए पढ़ते हैं आज का पंचांग। आज का पंचांग (Panchang 02 June 2025) ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि- रात 08 बजकर 34 मिनट तक संवत – 2082 योग – ध्रुव – सुबह 9 बजकर 11 मिनट तक योग: व्याघात प्रात: 08:21 बजे तक करण: गरज प्रातः 08:11 बजे तक, वनिज रात्रि 08:34 बजे तक वार – सोमवार ऋतु – ग्रीष्म सूर्योदय और सूर्यास्त का समय सूर्योदय – सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर सूर्यास्त- शाम 7 बजकर 15 मिनट पर चंद्रोदय – सुबह 11 बजकर 26 मिनट पर चंद्रास्त- 3 जून देर रात 12 बजकर 39 मिनट पर शुभ समय अभिजीत: प्रात: 11:52 बजे से दोपहर 12:47 बजे तक अशुभ समय गुलिक काल: दोपहर 02:03 बजे से दोपहर 03:47 बजे तक यमगंडा: प्रात: 10:35 बजे से दोपहर 12:19 बजे तक राहु काल: प्रात: 07:07 बजे से प्रात: 08:51 बजे आज का नक्षत्र आज चंद्रदेव मघा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे… मघ नक्षत्र: रात्रि 10:55 बजे तक सामान्य विशेषताएं: राजसी स्वभाव,गर्व, आत्माभिमान, सौंदर्य प्रेमी,साहसी, भव्य जीवनशैली, अहंकार,प्राकृतिक समृद्धि और सौभाग्य नक्षत्र स्वामी: केतु राशि स्वामी: सूर्य देवता: पितृ (पूर्वज) प्रतीक: राजसिंहासन शिव पूजा मंत्र सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥ वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥ एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥ ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।। शिवजी की आरती ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा… एकानन चतुराननपञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव ओंकारा… दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय शिव ओंकारा… अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी। त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा… श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥ ॐ जय शिव ओंकारा… कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा… ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका। प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥ ॐ जय शिव ओंकारा… लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥ ॐ जय शिव ओंकारा… पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥ ॐ जय शिव ओंकारा… जटा में गंगा बहत है,गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥ ॐ जय शिव ओंकारा… काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा… त्रिगुणस्वामी जी की आरतीजो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥ ॐ जय शिव ओंकारा…
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