टाइगर दिवस आज: नौ साल का हुआ “जय”, लखनऊ जू में आकर्षण का केंद्र बने 11 टाइगर

लखनऊ चिड़ियाघर में मौजूद सफेद टाइगर “जय” नौ साल का हो चुका है। उसकी दहाड़ दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी है।

नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान चिड़ियाघर परिसर में संरक्षित जीव-जंतुओं को देखना दर्शकों के लिए किसी रोमांच से कम नहीं है लेकिन, नौ साल पहले चिड़ियाघर में ही जन्म लेने वाला जय सफेद टाइगर की दहाड़ दर्शकों के लिए एक अलग तरह के आकर्षक का केंद्र रहता है। हालांकि, आमतौर पर शांत रहने वाला जय की आवाज सुनने के लिए दर्शक बेताब रहते हैं।

चिड़ियाघर की निदेशक अदिति शर्मा ने बताया कि साल 2016 में जय का जन्म इसी चिड़ियाघर में हुआ है। आमतौर पर अन्य टाइगरों की अपेक्षा जय को यह परिसर घर की तरह महसूस होता है। केयर टेकर के पास जाने पर उसकी हलचल अपने आप बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि परिसर में जय के साथ ही कुल 11 टाइगर संरक्षित हैं, जिन्हें अलग-अलग बाड़ों में रखा गया है। इनमें प्रत्येक टाइगरों के नाम अलग-अलग हैं। केयरटेकर जब नाम से बुलाता है तो वह करीब आते हैं।

11 टाइगरों में से तीन सफेद टाइगर हैं सरंक्षित
चिड़ियाघर परिसर में कुल 11 टाइगर संरक्षित हैं, इनमें तीन सफेद टाइगर भी शामिल हैं। निदेशक अदिति शर्मा ने बताया कि साल 2014 में मैत्री बाग चिड़ियाघर से सफेद टाइगर लाया गया था। जबकि, साल 2022 में चेन्नई से मादा सफेद टाइगर को लाया गया। पीलीभीत से सबसे ज्यादा पांच टाइगर रेस्क्यू कर लाए गए हैं। लखीमपुर खीरी से दो और कतर्निया घाट से एक टाइगर रेस्क्यू कर लाया गया है।

रहमानखेड़ा क्षेत्र में 90 दिनों तक रुका था टाइगर
रहमानखेड़ा जंगल और आसपास के 60 गांवों में 90 दिनों तक मानों टाइगर का निवास स्थान हो गया था। बाघ की चहलकदमी लोगों की दहशत का कारण बना रहा। हालांकि, मार्च में वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर उसे लखीमपुर जंगल में छोड़ा दिया। वन विभाग के अनुसार, टाइगर सीतापुर की तरफ से आया था। संभवत ऐसा पहली बार हुआ जब लंबे समय तक इंसानों के आसपास रहने के बावजूद किसी तरह की घटना नहीं हुई।

बाघों के संरक्षण के लिए मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस
चिड़ियाघर की निदेशक अदिति शर्मा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिवस बाघों के संरक्षण और उनकी घटती संख्या के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। बाघ हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और उनकी रक्षा करना न केवल जैव विविधता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह पर्यावरण संतुलन के लिए भी जरूरी है।

यूपी 205 बाघों का है निवास स्थान
चिड़ियाघर और टाइगर रिजर्व को छोड़ दिया जाए तो प्रदेश इस समय 205 बाघों का निवास स्थान है। वन विभाग के अनुसार, यह आंकड़ा साल 2022 की है जबकि, 2018 में इनकी संख्या 173 थी। यानी चार साल के अंदर 32 बाघों की संख्या बढ़ी है। वन विभाग के अनुसार, वन संरक्षण अभियान का ही नतीजा है कि यहां हर साल बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

प्रदेश में लगातार बढ़ रहे बाघ
उत्तर प्रदेश में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2018 में हुई गणना में यूपी में जहां 173 बाघ थे, वहीं 2022 में बढ़कर यह संख्या 222 हो गई। वहीं, मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने में बाघ मित्र भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यूपी के इस प्रयास की सराहना कर चुके हैं। पीलीभीत, दुधवा, अमानगढ़ व रानीपुर टाइगर रिजर्व में भी बाघ संरक्षण को लेकर कार्य किए जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर अनेक आयोजन भी किए जाएंगे।

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