गांगुली ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2017 में कहा, ‘जब मैं प्रशासन में आया तब राष्ट्रीय टीम का कोच बनने के लिए बेताब था। जगमोहन डालमिया ने मुझे कॉल किया और कहा, ‘6 महीने के लिए कोशिश क्यों नहीं करते हो।’ उनका स्वर्गवास हुआ और उस समय कोई नहीं था, लिहाजा मैं कैब अध्यक्ष बन गया। लोगों को अध्यक्ष बनने में 20 साल लग जाते हैं। आपको दिन के लिए जीना होता है।’
45 वर्षीय गांगुली ने कोच ग्रेग चैपल के साथ विवादित मुद्दे पर भी विचार प्रकट किए और बताया कि उन्होंने इसे खत्म करना क्यों सही समझा। बता दें कि टीम इंडिया के सफलतम कप्तानों में से एक गांगुली को जनवरी 2006 में टीम से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका दौरे पर जोहानसबर्ग टेस्ट में वापसी की और नाबाद 51 रन की पारी खेली।
गांगुली ने एक और रोचक राज खोला। उन्होंने कहा, ‘जब मैंने संन्यास की घोषणा की तो लंच के समय सचिन मेरे पास आए और उन्होंने पूछा आपने ऐसा फैसला क्यों लिया? मैंने कहा क्योंकि मुझे अब नहीं खेलना है। फिर सचिन बोले, ‘आपको इतनी शानदार लय में खेलते देखने को मिला है। यह आपका सर्वश्रेष्ठ समय है। पिछले तीन सालों में आपने बेहतरीन क्रिकेट खेली है।’
गांगुली ने कहा कि टीम खेल में सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि एक खिलाड़ी का चयन कई लोग करते हैं। इसलिए अगर कोई एक व्यक्ति बेहतर प्रदर्शन कर रहा हो, उसे भी जगह नहीं मिल पाती है। बकौल गांगुली, ‘मैंने पहले भी कई बार कहा है कि लीएंडर पेस इस अंदाज में इसलिए खेल पाए क्योंकि वो अपनी जिंदगी अपने अंदाज में जीते हैं। दूसरे पहलू को देखे तो आप पाएंगे कि एक बार खराब प्रदर्शन के बाद वापसी करना मुश्किल है। टीम से बाहर होना और वापसी करना हर खेल का भाग है। दिग्गज डिएगो मैराडोना और राहुल द्रविड़ ने दूसरो के लिए जगह बनाई। वो और भी खेल सकते थे।’