सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में होने वाली परिषद की 24वीं बैठक में प्रमुख रूप से जीएसटी के मद में राजस्व संग्रह घटने की वजह की तह में जाने की कोशिश की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि बीते अक्तूबर महीने के दौरान जीएसटी मद में कर संग्रह में करीब 12,000 करोड़ रुपये की कमी आई थी। माना जा रहा है कि कारोबारियों ने जीएसटी अपवंचन को अंजाम देना शुरू कर दिया है।
इससे पहले परिषद की 23वीं बैठक बीते महीने गुवाहाटी में हुई थी, जिसमें 178 सामानों पर जीएसटी की दर 28 फीसदी से घटा कर 18 फीसदी करने का फैसला लिया गया था। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में अप्रैल के बजाय जनवरी से ही ई-वे बिल लागू किए जाने पर विचार होगा। साथ ही जीएसटी चोरी रोकने के लिए ई-वे बिल व्यवस्था लागू करने के साथ और क्या किया जा सकता है, इस पर भी विचार होगा।
ऐसी खबरें हैं कि जांच और नियंत्रण के अभाव में डीलर जीएसटी को दरकिनार कर रहे हैं। इस बारे में अभी कुछ फैसला लेना इसलिए भी जरूरी हो गया है क्योंकि कर संग्रह में आई कमी की भरपाई के लिए सरकार के पास अब तीन ही महीने का समय बचा है। यदि अभी कुछ उचित कदम नहीं उठाए गए तो सरकार का घाटा बढ़ सकता है।
4 लाख लोगों से आता है 95 फीसदी कर
एक दिन पहले ही फिक्की के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि जीएसटी संग्रहण को लेकर किए गए अध्ययन के मुताबिक, नए कर शासन के तहत जितने लोग पंजीकृत हैं, उनमें से 4 लाख लोगों से 95 फीसदी कर प्राप्त होता है, जबकि 35 फीसदी लोग बेहद मामूली कर का भुगतान करते हैं।
उन्होंने स्वीकार किया कि रिटर्न अनुपालन का बोझ एक वाजिब समस्या है और जीएसटी परिषद इसकी जांच कर रही है। जेटली ने कहा कि संघीय संस्था महज 3-4 महीनों में ही कई वस्तुओं पर दरों को तर्कसंगत बनाने में सफल रही है।
इसी बैठक में बिहार के वित्त मंत्री और जीएसटी परिषद के सदस्य सुशील मोदी ने कहा था कि बिजली, रियल एस्टेट, स्टाम्प ड्यूटी और पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने के लिए परिषद जल्द ही विचार करेगी।
जीएसटी परिषद इसके लिए प्रयासरत है। हालांकि, उन्होंने इसके लिए कोई समय सीमा बताने से इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि इन चीजों को जीएसटी में संविधान में संशोधन के बिना शामिल किया जाएगा।