ट्रंप की फटकार के बाद पाक के बचाव में उतरा 'हमदर्द' चीन...

ट्रंप की फटकार के बाद पाक के बचाव में उतरा ‘हमदर्द’ चीन…

आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध कराने पर पाकिस्तान को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फटकार के बाद चीन अपने सदाबहार मित्र के बचाव में आगे आया है। उसने कहा है कि दुनिया को आतंकवाद का मुकाबला करने में पाकिस्तान के ‘सर्वोत्तम योगदान’ को स्वीकार करना चाहिए।ट्रंप की फटकार के बाद पाक के बचाव में उतरा 'हमदर्द' चीन...उम्मीद के अनुसार, मंगलवार को चीन ने पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी रिकॉर्ड की तारीफ की। ट्रंप के पाक को खरीखोटी सुनाने पर पूछे गए सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, ‘पाक ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अथक प्रयास किए और बलिदान दिए हैं।  वैश्विक चुनौती बन चुके आतंकवाद से निपटने के लिए उसने सर्वोत्तम योगदान किया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इन्हें स्वीकार करना चाहिए।’ 

चीनी प्रवक्ता ने कहा, उन्हें यह देखकर खुशी है कि आतंकवाद के खिलाफ अभियान समेत कई अंतरराष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्रों में पाक बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहा है, ताकि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम की जा सके। गेंग ने कहा, चीन और पाकिस्तान सदाबहार सहयोगी रहे हैं। हम अपने बहुपक्षीय सहयोग को और बढ़ाने को तैयार हैं, ताकि दोनों को लाभ हो सके।

इससे पहले, नए साल के पहले दिन अपने पहले ही ट्वीट में ट्रंप ने पाक पर तीखा हमला बोला। अमेरिका राष्ट्रपति ने उसे ‘झूठा और धोखेबाज’ बताया। कहा कि पाक ने अमेरिकी नेताओं को मूर्ख बनाया, जबकि वह आतंकवादियों को शरण देता रहा। अमेरिका ने बीते 15 साल में पाक को 33 अरब डॉलर की सहायता दी, लेकिन बदले में हमें झूठ और धोखे के सिवा कुछ भी नहीं मिला। उन्होंने आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह दी और हम उन्हें अफगानिस्तान में ढूंढते रहे। छोटी मोटी मदद से ज्यादा हमें कुछ नहीं मिला। 

पाक में सीपीईसी के जरिये चीन का बड़ा निवेश –
चीन ने पाक में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। वह 50 अरब डॉलर की लागत से चीन-पाक आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) बना रहा है। यह गलियारा पाक के कब्जे वाले कश्मीर से भी होकर गुजरेगा। भारत को इस पर कड़ी आपत्ति है। पिछले हफ्ते चीन, पाक और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद बीजिंग ने सीपीईसी में अफगानिस्तान को भी शामिल करने की इच्छा जताई थी।

अफगानिस्तान के भारत से करीबी रिश्ते हैं। उधर, अफगानिस्तान का आरोप है कि पाक तालिबान को पनाह देता है। दोनों देशों में इस पर लंबे समय से विवाद रहा है। अब चीन अपने महत्वाकांक्षी गलियारे के जरिये पाक और अफगानिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की जुगत में है।

अरब सागर और हिंद महासागर तक रणनीतिक पहुंच की जुगत में चीन –
विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका पाक पर दबाव बढ़ा रहा है। इधर, पाक चीन के साथ अपने गठजोड़ मजबूत कर रहा है। वह सामरिक लिहाज से अहम सीईपीसी में चीन के भारी निवेश के लिए भी तैयार है। ऐसा करके वह पाक को अरब सागर और हिंद महासागर तक रणनीतिक पहुंच उपलब्ध करा रहा है।

 जब चीनी प्रवक्ता गेंग से पूछा गया कि अमेरिका की फटकार से क्या चीन के पाक और अफगानिस्तान के बीच शांति लाने के प्रयास प्रभावित होंगे तो उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि चीन, पाक और अफगानिस्तान न केवल भौगोलिक तौर पर एक-दूसरे से करीब से जुड़े हुए हैं बल्कि तीनों के साझा हित भी हैं। आपसी संवाद और आदान-प्रदान बढ़ाना हमारे लिए लाजिमी है।

 गेंग ने कहा, 26 दिसंबर की त्रिपक्षीय बैठक में तीनों देशों में आपकी सहयोग को लेकर काफी हद तक सहमति बन गई थी। इसमें तीनों देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग बढ़ाना और हर तरह के आतंकवाद से निपटना शामिल था। 

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