अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने 14 महीने के कार्यकाल में तीसरे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) को नियुक्त किया है। तीसरे एनएसए का नाम जॉन बॉल्टन है। ट्रंप की इस पसंद ने ना केवल दुनियाभर को चौंकाया है बल्कि डराया भी है क्योंकि उनकी छवि युद्धोन्मादी शख्स वाली रही है। कुछ दक्षिणपंथी अतिवादी मीडिया समूहों को छोड़कर अमेरिका के नए एनएसए को लेकर दुनियाभर के समाचारों की सुर्खिया निराशा और हताशा वाली रही हैं।
न्यूयॉर्क ने अपने संपादकीय में लिखा था- हां जॉन बॉल्टन असल में खतरनाक हैं। अखबार ने लिखा था- मिस्टर बोल्टन देश को युद्ध में झोंक देंगे। ट्रंप की यह पंसद उनके पिछले कई फैसलों की तरह ही खतरनाक है। लगभग सभी अखबारों में बॉल्टन के लिए इसी तरह की टिप्पणियां लिखी थीं। नए एनएसए को कट्टर विचारों के लिए जाना जाता है। इसके अलावा वह सैन्य ताकतों के हिमायती रहे हैं। उन्होंने ईरान का विरोध किया था और दक्षिण कोरिया को सजा देने के लिए उसपर हमला करने का समर्थन किया था।
बॉल्टन ने भारत का भी विरोध किया था। वह भारत को शंका की नजर से देखते हैं। राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के कार्यकाल के दौरान जब वह संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के राजदूत के तौर पर तैनात थे तब उन्होंने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत का विरोध किया था। चीन के साथ मिलकतर उन्होंने भारत की कोशिशों को झटका दिया था। युद्ध के घोर पक्षधर जॉन को एनएसए बनाने के फैसला पर ट्रंप कितने दिन तक अमल करते हैं यह देखने लायक होगा क्योंकि कई मामलों पर दोनों के विचार अलग-अलग हैं।