अगर आपके पास दो बैंक अकांउट हैं तो जरुर पढ़े ये खबर, लग सकता है..
चीन के सरकारी अखबार ‘द ग्लोबल टाइम्स’ के एक संपादकीय के जरिए अमेरिका पर निशाना साधा गया है। संपादकीय में यहां तक लिखा है कि डोनाल्ड ट्रंप विदेश नीति में अभी परिपक्व नहीं हुए हैं। उन्हें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। संपादकीय में कहा गया है कि डोनाल्ड ट्रंप हर एक बात को कारोबार की तरह देखते हैं। वे हर चीज की कीमत लगाते हैं। क्या वे अमेरिका के संविधान की भी कीमत लगा सकते हैं और क्या कीमत मिलने पर अमेरिका का संविधान सऊदी अरब में लागू किया जा सकता है?
अखबार के संपाकीय में कहा गया कि अगर अमेरिका ने ताइवान को लेकर चीन के खिलाफ किसी खुराफात को अंजाम दिया तो चीन से बुरा कोई नहीं होगा।
अमेरिका के खिलाफ चीन के तेवर उस वक्त गरम हुए जब ट्रंप ने ताइवान की राष्ट्रपति से टीसाइ इंजवेन से फोन पर बात की।
संपादकीय में कहा गया कि ट्रंप को और विनम्र होना होगा। उन्हें यह सीखने की जरूरत है कि वे चीन या दूसरे देशों की ताकत को कम आकना बंद करें। बीजिंग को पूरा यकीन है कि ताइवान का मुद्दा वाद-विवाद की परिधि से मुक्त है।
संपादकीय के मुताबिक चीन ने ताइवान में अमन कायम रखा है। इसलिए जो भी ताइवान को उकसाने और उसकी वकालत करने की कोशिश करेगा, उसे चीनी सेना की कार्रवाई के रूप में खामियाजा भुगतना होगा।
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ओबामा प्रशासन ने भी चीन की वन चाइना पॉलिसी को समर्थन दे रखा था, लेकिन ट्रंप ने व्हाइट हाउस पहुंचने से पहले ही ड्रैगन की इस पॉलिसी को चुनौती दे डाली। ताइवान की राष्ट्रपति का फोन कर ट्रंप को बधाई देना अप्रत्याशित कूटनीतिक घटनाक्रम है। क्योंकि इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ताइवान को हथियार तो बेच रहे थे लेकिन उसे कूटनीतिक समर्थन नहीं दे रहे थे। यही कारण है कि चीन इन दिनों वन चाइना पॉलिसी का रोना रो रहा है।
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