ट्रंप की ताजपोशी से ठीक पहले पूरी दुनिया उनकी विदेश नीति को लेकर चिंतित रही। हालांकि शपथ की पूर्व संध्या पर ट्रंप ने अमेरिका को एकजुट रखने का वादा किया है। उन्होंने भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाने की बात भी कही, लेकिन चिंता की लकीरें अमेरिका में भी हैं और भारत समेत पूरी दुनिया में भी हैं। लेकिन भारत को लेकर यदि ट्रंप प्रशासन में चुनौतियां शामिल हैं तो अवसर भी कम नहीं होंगे। इसीलिए ट्रंप भारतीयों पर फिदा हैं।

अमेरिकियों के लिए नौकरी के अवसर भारतीयों के लिए संकट खड़ा कर सकता है। ट्रंप का जोर विधेयक लाकर एच 1 बी वीजा को और सख्त करने पर है। भारत के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है। ट्रंप द्वारा कही गई बदलाव की बात पर पूरी दुनिया बेचैन है। ट्रंप की रूस के साथ जुगलबंदी दुनिया के लिए चुनौती बन सकती है। इससे नाटो देश, इस्राइल, मध्य-पूर्व के देश, यूरोप और भारत भी प्रभावित होंगे।
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इसके अलावा उभरती शक्ति के रूप में भारत की ओर अमेरिका की प्रतिबद्धता भी संतुलित थी, जो ओबामा प्रशासन में भी जारी रही। उन्होंने कहा कि ट्रंप की कुछ नीतियां भारत को अच्छे अवसर भी दे सकती हैं। खासतौर पर चीन को लेकर बनने वाली नीतियां।
भारतीय और दक्षिण एशियाई मूल के बहुत से अमेरिकी डेमोक्रेट समर्थक भी इस बार ट्रंप के खेमे में जुट गए थे। इनमें भारतीय मूल के अमेरिकी लोग इस बात से काफी खुश हैं कि निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल की निकी हेली को संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका का राजदूत बना दिया है।
इन भारतवंशियों को ट्रंप से कई उम्मीदें भी हैं जिनमें राजनीतिक के भीतर भ्रष्टाचार खत्म होने और आईएस के खात्मा शामिल है। अमेरिका में भारतवंशी कारोबारियों को ट्रंप से अर्थव्यवस्था में बेहतरी की उम्मीद है।
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इस तरह समझौते का पहला प्रस्ताव अमेरिका के करीबी सहयोगी ब्रिटेन को दिया जा सकता है। इसके बाद ट्रंप प्रशासन इसी तरह का समझौता भारत के साथ भी कर सकता है। यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जब ट्रंप देश के 45वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं।
व्हाइट हाउस के नवनिर्वाचित प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने संवाददाताओं से कहा कि मुझे लगता है कि कारोबार के सिलसिले में राष्ट्रपति का संदेश एकदम साफ है। वह अमेरिकी कामगारों और अमेरिकी उत्पादन के लिए लड़ेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि वह द्विपक्षीय समझौतों के बारे में बात करते हैं लेकिन वह यह सुनिश्चित करेंगे कि जो भी समझौता हो, उसमें भी अमेरिकी कामगारों, अमेरिकी उत्पादन, अमेरिकी सेवाओं व अमेरिका को प्राथमिकता मिले।
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