अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एच1बी वीज़ा को लेकर किए गए अपने वादे पर अमल करने लगे हैं। यहां के होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट ने एच1बी वीज़ा में फर्ज़ीवाड़ा रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। अब अमरीकी कंपनियों के लिए दूसरे देश के लोगों को अस्थायी तौर पर नौकरी देना मुश्किल होगा। इसके अलावा सरकार ने यह चेतावनी भी दी है कि वीजा जारी करने के लिए बने नियमों का पालन ना होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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क्या हैं एच1बी वीजा
यह एक तरह की तत्काल सेवा है। 15 दिन के भीतर 1225 डॉलर की फीस देकर अमरीका के लिए वीज़ा मिल जाता है। एच1बी वीजा ऐसे विदेशी पेशेवरों के लिए जारी किया जाता है जो ऐसे ‘खास’ कामों के लिए स्किल्ड होते हैं। इन ‘खास’ कामों में वैज्ञानिक, इंजीनियर और कंप्यूटर प्रोग्रामर शामिल हैं। लेकिन ट्रंप सरकार ने 3 अप्रैल के बाद इस तत्काल सेवा पर रोक लगा दी है। इस वीज़ा के तहत हर साल 85,000 पेशेवर को वीजा दिया जाता है। एक अनुमान के अनुसार, तीन लाख भारतीय एच 1 बी वीजा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं।
क्या है नए कदम?
ट्रंप सरकार ने अपने जस्टिस डिपार्टमेंट के जरिए सभी कंपनियों को एच1बी वीजा के गलत इस्तेमाल पर चेतावनी जारी कर दी है। नए कदमों के तहत होम सिक्युरिटी डिपार्टमेंट उन जगहों पर जाएगी जहां पर काम करने वाले लोग एच1बी वीजा होल्डर्स है। ट्रंप सरकार ने अपने जस्टिस डिपार्टमेंट के जरिए सभी कंपनियों को एच1बी वीजा के गलत इस्तेमाल पर चेतावनी जारी कर दी।
नियमों को ताक पर रखकर एच 1 बी वीजा को जारी करने वाले अधिकारियों को और अमेरिकी वर्करों के लिए नकरात्मक दृष्टिकोण अपनाने वाले अधिकारियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब अमेरिका के वर्कर्स के खिलाफ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यदि किसी तरह की शिकायत इस बाबत आती है तो उसकी पूरी जांच की जाएगी और दोषी को दंडित भी किया जाएगा।
ट्रंप प्रशासन ने यह भी साफ किया है कि एच1बी वीजा का आवेदन करने वाले की पूरी जांच के बाद ही अब इसको जारी किया जाएगा। यह भी देखा जाएगा कि क्या वह इस काबिल है या नहीं। इसके लिए उसके विभिन्न पेपरों की भी जांच की जाएगी