यूं तो हमारे देश में अभिव्यक्ति की पूरी आज़ादी है लेकिन कभी-कभी यही आज़ादी आपको जकड़ लेती है। एक ऐसे जंजाल में, जहां आप खुद को ठगा हुआ सा महसूस करते हैं।
मधुर भंडारकर द्वारा बनाई जा रही इंदु सरकार के लिए उनपर कालिख पुतवाने वाले इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी समझते हैं तो कोई रवीश का पक्ष रखने पर एक लड़की को रात में हवेली आने का ऑफर दे देते हैं।
किसी ने अफजल प्रेमी गैंग का हिस्सा बनाया तो किसी ने कहा कि लगता है केजरीवाल ने इनका राशन कार्ड बनवा दिया है, जिससे रवीश जब चाहे(अक्सर रातों में) डेबिट कर सकते हैं। खून तो बहुत खौला लेकिन शांत रही। बात यहीं नहीं रुकी।
मुझे हवेली पर आने का न्यौता तक मिल गया। मेरी गर्मी शांत करने के लिए भी कुछ भक्तों ने मर्दानगी दिखानी शुरू कर दी। किसी ने तो ये तक पूछ लिया, ‘तू लड़की ही है न।’ अब अपनी बात रखने के लिए क्या मुझे लड़का होना पड़ेगा?
हंसी तो तब आई जब बॉबी देवल और परेश रावल की फोटो लगाकर लाखों फॉलोवर्स जुटाने वाले लोगों ने मुझे इस तरह की भद्दी गालियां दी और पाकिस्तानी बता दिया। इसमें ‘हिन्दू भक्त’, ‘देश की सेना’, ‘सच्चे भक्त’, ‘भारत माता की जय’ जैसे टाइटल वाले लोग ज्यादा थे। ऐसी गालियां सुनकर जान गई कि भैया, असली भक्त तुम्हीं लोग हो…वाह रे भक्तों!
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खैर ये तो जान गई कि यहां पक्ष रखा तो आपको गद्दार, पाकिस्तानी एजेंट और हवेली पर आने के ऑफर मिलने लग जाएंगे। कोई आपको अफज़ल से शादी करने की सलाह देगा तो कोई केजरीवाल की रखैल बताएगा। पुरुष पत्रकारों को दलाल और महिला पत्रकारों की जगह दिग्विजय सिंह के बिस्तर पर बताई जएगी।