नवंबर की शुरुआत के साथ ही हवा में ठंडक और प्रदूषण दोनों बढ़ जाते हैं। ऐसे मौसम में सर्दी-जुकाम, खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। लेकिन अगर हर सुबह आप कुछ मिनट प्राणायाम के लिए निकाल लें, तो न सिर्फ फेफड़े मजबूत रहेंगे बल्कि शरीर में ऊर्जा और मानसिक शांति भी बनी रहेगी। आयुर्वेद और योग की दृष्टि से, ठंड के मौसम में श्वसन प्रणाली को संतुलित रखना बेहद जरूरी है और इसमें सबसे कारगर उपाय है सही प्राणायाम।
कपालभाति प्राणायाम
सर्दियों में कपालभाति प्राणायाम करने से कफ और जमाव कम करता है और सर्दी-जुकाम की रोकथाम करता है।सीधे बैठें, गहरी सांस लें और पेट को अंदर की ओर खींचते हुए सांस को जोर से बाहर छोड़ें। यह प्राणासाम श्वसन तंत्र की सफाई करता है, टॉक्सिन्स निकालता है और फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है
अनुलोम-विलोम प्राणायाम
सर्दी में अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने से जकड़ी हुई नाक और ठंड से प्रभावित साइनस को आराम देता है। इस आसन से नासिका मार्ग खुलता है। ऑक्सीजन लेवल बढ़ाता है और मस्तिष्क को शांत करता है। अभ्यास के लिए दाएं नथुने को बंद कर बाएं से सांस लें, फिर बाएं बंद कर दाएं से छोड़ें।
भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका प्राणायाम ठंड से होने वाली सुस्ती और एलर्जी दूर करता है। यह आसन शरीर में गर्मी पैदा करता है और ब्लड सर्कुलेशन सुधारता है। अभ्यास के लिएगहरी और तेज़ सांस लें-छोड़ें, जैसे फूंक मारने की गति हो।
भ्रामरी प्राणायाम
सर्दियों में भ्रामरी प्राणायाम से एंग्जाइटी और डिप्रेशन से बचाव होता है। ये आसन दिमाग को शांत करता है, नींद की गुणवत्ता बढ़ता है। इस प्राणायाम के अभ्यास के लिए आंखें बंद करें, अंगूठों से कान बंद करें, नाक से सांस लेकर “म्म…” की गूंज करें।
उज्जायी प्राणायाम
उज्जायी प्राणायाम करने से ठंड में ठिठुरन से बचाने में मददगार और हार्मोन बैलेंस करता है। यह प्राणायाम शरीर को गर्म रखता है और थायरॉयड ग्लैंड को सक्रिय करता है। इसके अभ्यास के लिए गले से हल्की आवाज के साथ धीरे-धीरे सांस लें और बाहर छोड़ें।
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