अरब सागर से धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा दक्षिण-पश्चिम मानसून फिलहाल ठिठक गया है। अरब सागर में वैदर सिस्टम सक्रिय नहीं होने से मानसून को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल रही है।
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि मानसून की बरसात के लिए अभी कम से कम एक सप्ताह तक इंतजार करना पड़ सकता है। हालांकि वातावरण में नमी मौजूद रहने से कहीं-कहीं मानसून पूर्व की बौछारें पड़ने का सिलसिला जारी रहेगा।
भीषण गर्मी और उमस झेल चुके लोगों की उम्मीद पर फिलहाल मानसून ने पानी फेर दिया है। मप्र से लगे छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में प्रवेश करने के बाद अरब सागर से चला मानसून ठिठककर रह गया है।
मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून ने शनिवार को कोंकण का अधिकांश भाग,मध्य महाराष्ट्र का कुछ और हिस्सा,मराठवाड़ा,विदर्भ,छत्तीसगढ़,उड़ीसा के कुछ हिस्सों में प्रवेश कर लिया था। लेकिन उसके बाद वह स्थिर हो गया है।
शुक्ला के मुताबिक अरब सागर में फिलहाल मानसूनी गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं। जिससे मानसून को आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पा रही है। उधर बंगाल की खाड़ी में एक अवदाब का क्षेत्र बना है। लेकिन उसका रुख बांग्लादेश की तरफ होने की संभावना है।
इस वजह से अभी कम से कम एक सप्ताह तक मानसून के आगे बढ़ने की संभावना नहीं दिख रही है। हालांकि वातावरण में आद्रता बनी रहने से प्री मानसून एक्टिविटी के तहत गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं।
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