3 अप्रैल17….कल के प्रशांत भूषण जी के tweet के बाद आज सुबह मेरी और श्रीगुरुजी की चर्चा फिर शुरू हुई। मैंने पूछा,”राजनीतिक पार्टियाँ , सत्ता में आना चाहती हैं, देश चलाने के लिए , दूसरी पार्टियों का विरोध करती हैं, यह जताने के लिए हम अधिक कुशलता से देश चला सकते हैं । किसी न किसी मुद्दे को पकड़ कर अधिकतर युवाओं को बरगलाती हैं….मुझे बढ़ी चिंता है, क्या होगा, कैसे होगा, सब अच्छा कब होगा….? “
“यही पीड़ा तो मुझे भी सताती है….विद्रोह और विरोध युवा की पहचान है इसलिए राजनीतिक पार्टियां उन्हें use करती हैं। अव्यवस्था को ठीक करने में युवाओं की महती भूमिका होती है क्योंकि उनके अंदर विद्रोह और विरोध होता है, साथ में जिज्ञासा भी होती है, उनकी इन qualities का सदुपयोग करना चाहिये , उन्हें misuse नहीं करना चाहिये । युवाओं को भी चाहिये की तर्कशीलता develop करें और वह तर्क ज्ञान से supported हो, हाँ… ईमानदारी और विनम्रता आवश्यक है । तब वे राजनीतिक पार्टियों के हाथ की कठपुतली नहीं बनेंगे ।” श्रीगुरुजी ने स्पष्ट बात रखी ।
“जी….मतलब मोटे तौर पर कहूँ तो युवाओं को आध्यात्मिक होना चाहिए …है न ? ” मैंने summarise किया ।
“बिल्कुल….और अध्यात्म दीपक, घंटा, शंख नही होता….यह तो आप जानती ही हैं ?” श्रीगुरु जी बोले । “पंद्रह साल से साथ हूँ….जानूँगी नहीं क्या…..? ” मैं हंसते हुए बोली ।