2 मई 17….जब श्रीगुरुजी के साथ बंधन में बंधी तो लगा कि सारा भविष्य पता चल जाएगा, अहा कितना आनंद है! (ये अलग बात है कि मुझे भी अपने जन्मदिन पर वार्षिक फल T .V. के कार्यक्रम से ही पता चलता है)।जब-जब ये पता चला कि यह साल बुरा होगा….
चाहे T.V. के माध्यम से ही सही…वह साल बुरा तो गुज़रा पर पहले से prepared होने के कारण उन मुश्किल लम्हों से लड़ सकी और कामयाब भी हुई पर तस्वीर का दूसरा पहलू…., जब यह पता हो कि भविष्य में क्या होना है और सारे घटनाक्रम उसी भंवर की ओर ढकेलते से दिखते हों, तो कैसी लाचारगी सी महसूस होती है …और लगता है कोई तो रोक लो…और कोई रत्न, कोई धागा, कोई उपाय नहीं जो नियति को रोक सके…
श्रीगुरुजी कहतें हैं कि मातारानी से प्रार्थना सर्वोपरि उपाय है पर जब ऐसा होने लगे कि प्रार्थना तो करो पर माँ से कुछ मांग न सको, तो क्या यह संकेत है कि नियति तय है, या कुछ न मांग सकने से यह अदम्य विश्वास झलकता है कि… माँ हैं तो सब ठीक ही होगा…और यही विश्वास, कुछ मांगने नही देता। श्रीगुरुजी यह भी कहते हैं कि ऊपरवाले के रास्ते पर चलो,तो वह हाथ पकड़कर सब मुश्किलों से निजात दिलाता है ।
आप सोच रहे होंगे, कि आज मैं यह क्या लिख रही हूं।दरअसल कल एक सज्जन आये थे जो कह गये ,” आप तो श्रीगुरुजी से सब पहले ही जान लेती होंगी और फिर पहले से ही उपाय भी कर लेती होंगी…..”, उनसे जो कहा और जो अनकहा रह गया, वह सब यहां कह गयी…