28 मई, 17…..कल से आगे…श्रीगुरु जी बोले, ” ‘धीरे-धीरे’ सुन – सुन कर थक गया हूँ मैं….. समय पलक झपकते ही निकल जाएगा और आप यही कहते रहना – धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा….” इसके आगे मैं सुन न सकी तो बहाना करके दूसरे कमरे में चली आई।
आज की Leakage अगर श्रीगुरु जी पढ़ रहे हों, तो निवेदन कि यहीं रुक जायें क्योंकि इसके आगे का संवाद मेरे और मेरे परिवार के बीच का है।
मैं कुछ कहना चाहती हूँ आप सबसे – ” मैं कुछ नहीं लगती आपकी फिर भी कभी अगर मुझे दिखावे में ही, झूठ में ही मान दिया हो तो एक प्रार्थना है आप सबसे…… please Number Game में मत उलझिये, दूसरों में नुक्स मत ढूँढिये….अपने शब्दों को विनम्रता का जामा पहनाइये….तंज मारने से बचिये….अपनी लाइन बड़ी करने के लिए दूसरे की छोटी मत करिये…. दिल खोल कर मिलिए एक दूसरे से…किसी की व्यक्तिगत ज़िंदगी में मत झांकिये….हमारे करीब आने के लिए दिखावा मत करिए….आप सब यूं ही करीब हैं….
श्रीगुरु जी कुछ बहुत बड़ा करना चाहते हैं जो राष्ट्र से संबंधित है, इतिहास से संबंधित है, जब उनको और मुझको पता चलता है कि जो आप लोग दिखाते हो, वैसे हो नहीं, तो हम टूट से जाते हैं।
अगर ये भ्रम है, तो हमारा भ्रम बनाये रखना क्योंकि आप लोग ही हमारी Driving Force हैं, ये बड़े-बड़े काम तभी हो पाते हैं जब हमें लगता है कि हमारा परिवार एक-दूसरे के साथ ,हमारे साथ है। यहाँ मेरे शब्दों *”एक-दूसरे के साथ”* पर गौर करना….और भगवान के लिए हर कोई कल और आज की मेरी डायरी को स्वयं से जोड़ कर पढ़ना, ‘यह सब मैंने किसी और के लिए लिखा है’ ऐसा सोच कर इसे अनदेखा मत करना…