4 अप्रैल 17…आज मैं थोड़ी थकान महसूस कर रही थी, सो चुपचाप ऊपर कक्ष में जा कर लेट गयी।अब श्रीगुरुजी बेचैन हो गए…. बोले ,” क्या बात है? आज कोई प्रश्न नहीं आपके पिटारे में ? ” मैंने कहा,” सोच रही थी कि जो संत, महात्मा, श्रेष्ठ लोग होते हैं, उन्हें इस जीवन में कष्ट क्यों उठाने पड़ते हैं ? मुझसे यह प्रश्न कुछ समय पूर्व मेरे फेसबुक परिवार के दो सदस्यों ने भी पूछा था…”
श्रीगुरुजी बोले, ” अगर कोई मनुष्य इस धरती पर आता है तो जाने – अनजाने उससे कोई गलती तो होती ही है जिसका फल उसे अगले जन्म में भुगतना ही पड़ता है। अब रही दूसरी बात कि संतों को कष्ट क्यों भुगतना पड़ता है…. तो इसके दो कारण होते हैं। पहला – संत -महात्मा दूसरों को जब कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं या दूसरों के लिए जब प्रार्थना करते हैं तो अपने तप का अंश दूसरों को देकर उन्हें कष्ट – मुक्ति देते हैं और उनके कष्ट अपने ऊपर लेते हैं। दूसरा कारण- अगर किसी संत – महात्मा से कोई बहुत छोटी सी भी गलती हो जाती है तो ईश्वर उन्हें कड़ा दंड देते हैं और आसानी से क्षमा भी नहीं करते क्योंकि ईश्वर ने उन्हें किसी विशेष उद्देश्य के लिए भेजा है जिसमें किसी चूक की कोई गुंजाइश नहीं …. फिर चाहे उसी गलती के लिए किसी साधारण मनुष्य को दंड न भी मिले या छोटा – मोटा ही दंड मिले।”
” अच्छा…just like कोई teacher class के बहुत brilliant student को छोटी सी गलती पर फटकारती है और कहती है- this was not expected from you और वहीं किसी notorious student की गलती को नज़रअंदाज़ कर देती है, यह सोचकर कि इसका तो वैसे भी कुछ नहीं होना।” मैंने जोड़ा।
” क्या बात है…. बिल्कुल सही समझीं आप।” ये बोले।