पटना। लोक आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन शनिवार को व्रतियों ने खरना किया। खरने के बाद रविवार शाम को यह व्रतियां डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी।
ये है ऐसा मंदिर जहां जाने से पूरी हो जाती है हर मनोकामना
शनिवार को दिनभर उपवास के बाद शाम को पूजा कर रोटी और खीर का प्रसाद ग्रहण किया। व्रतियों ने घरों और गंगा तट पर प्रसाद बनाया। छठ व्रतियों के घर प्रसाद ग्रहण के लिए शाम से रात तक लोगों के आने का सिलसिला चलता रहा।
लोग संबंधियों एवं मित्रों के घर जाकर खरना का प्रसाद ग्रहण करते रहे। रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। सोमवार की सुबह दूसरा अर्घ्य देने के साथ लोक आस्था का महापर्व संपन्न हो जाएगा। अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का मुहूर्त शाम 5.10 बजे का है।
शनिवार को दोपहर बाद दो बजे से ही व्रती गंगा के तट पर आने लगे थे। दूर के लोग अपने वाहन से नदी किनारे पहुंच रहे थे, तो घाट के आसपास के मोहल्ले के लोग पैदल ही नदी की धारा तक पहुंच रहे थे।
छठ व्रतियों की चिंता, दूर हो गयी गंगा तो कैसे करेंगे पूजा!
नदी किनारे आने वाली महिलाएं छठी माई व भगवान भास्कर के गीत गाती आ रही थीं। खरना व्रत को लेकर स्नान के वक्त नदी का तट हर-हर गंगे और जय छठी माई की जय-जयकार से गूंज उठा। इसके बाद व्रतियों ने मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से रोटी-खीर का प्रसाद बनाया। व्रतियों के बाद परिवार के अन्य लोगों ने प्रसाद लिया।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features