तानाशाह किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग ने अमेरिका का इस बात को लेकर बनाया मजाक और क्‍या कहा…

उत्‍तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग ने अमेरिका का इस बात को लेकर मजाक बनाया है कि वे उत्‍तर कोरिया से बातचीत की उम्‍मीद लगाए हुए है। किम यो जोंग ने अमेरिकी राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवान के उस बयान का मजाक उड़ाया है जिसमें उन्‍होंने किम जोंग उन के हालिया बयान का जिक्र किया था। जैक ने कहा था कि किम की तरफ से आए ताजा बयान में अमेरिका से बातचीत को लेकर कुछ अच्‍छे सिग्‍नल आते दिखाई दिए हैं। किम की बहन के द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि जैक को जो संकेत उत्‍तर कोरिया की तरफ से मिले हैं उनसे उन्‍हें निराशा ही मिलने वाली है। किम यो जोंग ने अमेरिका का इस बात पर भी उपहास उड़ाया है कि वो और दक्षिण कोरिया प्‍योंगयोंग के साथ समन्‍व्‍य बिठाने के लिए विवादित वर्किंग ग्रुप को खत्‍म करने पर विचार कर रहे हैं।

उत्‍तर कोरिया की समाचार एजेंसी केसीएनए को दिए अपने बयान में किम यो जोंग ने कहा है कि अमेरिका ने किम जोंग उन के बयान का वो अर्थ निकाला है जो उसको सही लगता है।। उन्‍होंने अपने बयान में ये भी साफ कर दिया है कि अमेरिका इस बारे में जो कुछ भी सोच रहा है वो गलत है। जोंग ने कहा कि अमेरिका गलत दिशा में इस बयान का अर्थ निकाल रहा है। इससे केवल अमेरिका को निराशा ही हाथ लगेगी।

उत्‍तर कोरिया की तरफ से ये बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने उत्‍तर कोरिया से बातचीत के लिए संग किम को अपना एक विशेष प्रतिनिधि नियुक्‍त किया है। इस विशेष प्रतिनिधि की मंगलवार को दक्षिण कोरिया के राष्‍ट्रपति मून जे और यूनिफिकेशन मंत्री ली इन यंग से उत्‍तर कोरिया से संबंधों को लेकर वार्ता होनी है। सोमवार को संग किम ने कहा था कि वो उत्‍तर कोरिया के नेता से कहीं भी और कभी भी, बिना किसी पूर्व निर्धारित शर्तों के मिलने को तैयार हैं। उनका ये भी कहना है कि वो इस संबंध में आगे की तरफ देख रही हैं और उम्‍मीद है कि उत्‍तर कोरिया से कोई पॉजीटिव रेस्‍पॉन्‍स मिलेगा।

दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि संग किम और दक्षिण कोरिया के नोह-क्‍यू-डुक दोनों ही इस बात पर सहमत हुए हैं कि वर्किंग ग्रुप को अब खत्‍म कर देना चाहिए और दूसरे स्‍तर पर जाकर आपसी सहयोग और समन्‍व्‍य के बारे में विचार करना चाहिए। इस वर्किंग ग्रुप को वर्ष 2018 में बनाया गया था। इसका मकसद दोनों देशों और उनके सहयोगियों के बीच पूरे प्रायद्वीप को गैर परमाणु हथियार बनाना, मानवता के आधार पर मदद उपलब्‍ध कराना, प्रतिबंध को लागू करना और इस बाबत होने वाली कूटनीतिक वार्ता के लिए आपसी सामंजस्‍य बिठाना था।

लंदन किंग कॉलेज में कोरियाई मामलों के एक्‍सपर्ट रेमन पचेको पार्डो का कहना है कि पिछले वर्ष जब दक्षिण कोरिया ने उत्‍तर कोरिया के साथ पयर्टन को शुरू करने का प्रस्‍ताव दिया था तब दक्षिण कोरिया के तत्‍कालीन राजदूत हैरी हैरिस ने कहा था कि दोनों देशों के बीच किसी भी तरह की गलतफहमी उत्‍तर कोरिया पर प्रतिबंधों को बढ़ाने में सहायक साबित हो सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि इस वर्किंग ग्रुप को आगे भी पहले की ही तरह काम करते देना चाहिए। उन्‍होंने ये भी कहा है कि दक्षिण कोरिया के किसी भी फैसले को मंजूरी देने का काम अमेरिका का नहीं है।

उनकी तरफ से आए इस बयान ने काफी विवाद खड़ा किया था जिसके बाद राष्‍ट्रपति मून जे ने संसद में कहा था कि वर्किंग ग्रुप को लेकर कई सारी समस्‍याएं पैदा हो रही हैं। यही वजह है कि मून जे एक सद्भावना संकेत के मद्देनजर इस ग्रुप को खत्‍म करना चाहते हैं। उनके मुताबिक उत्‍तर कोरिया के संदर्भ में ट्रंप के काल में इंटर कोरियन प्रोजेक्‍ट को रोकना अमेरिका का एक सामान्‍य से सिद्धांत था। उनका कहना है कि बाइडन के लिए इस ग्रुप को खत्‍म करना एक बड़ा ही चालाकी भरा राजनीतिक कदम हो सकता है।

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com