
दादामियां खानकाह के नायब सज्जादानशीन सैयद अबुल बरकात नजमी का कहना है कि कांग्रेस ने 70 साल तक मुस्लिमों का वोट हासिल किया। मुस्लिम भी धर्म निरपेक्षता के नाम पर उसे वोट देते रहे, लेकिन उसने बहुत नुकसान किया। सियासी उपेक्षा दूर करने के लिए बहकाने वाले राजनीतिक दलों से मुस्लिमों को दूर रहना चाहिए।
मुस्लिमों को होशियार हो जाना चाहिए
बरेलवी विचारधारा के शहरकाजी मौलाना रियाज अहमद हशमती ने कहा कि यह कानून मुस्लिम मर्द और औरत के खिलाफ है। तीन तलाक देने पर मर्द जेल में होगा तो उसके बीवी-बच्चों का क्या होगा। इसके बाद भी इस बिल का समर्थन कांग्रेस समेत अन्य दलों ने किया। अब मुस्लिमों को होशियार हो जाना चाहिए।
99 फीसद मुस्लिम बिल के खिलाफ
समाजसेवी और वकील हाजी मोहम्मद वसीक बरकाती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तीन तलाक असंवैधानिक है और वह माना ही नहीं गया। इस पर सरकार कानून बनाए, लेकिन सरकार ने इस पर सजा का प्रावधान कर दिया। जब उसे अमान्य मान लिया गया था। यानी तलाक नहीं हुआ तो सजा किस बात की । राजनीतिक दल यह नहीं समझ रहे हैं। इसका समर्थन करने वाले सिर्फ टीवी, अखबारों में दिख रहे हैं, जो एक प्रतिशत भी नहीं हैं। 99 फीसद मुस्लिम इसके खिलाफ हैं।
महिला शहरकाजी डॉ. हिना जहीर ने कहा कि एक बार में तीन तलाक गलत था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी माना। बिल में इसे अमान्य करना सही है लेकिन सजा बिल्कुल गलत है। जब तलाक माना नहीं तो सजा किस बात की। इससे मियां-बीवी दोनों को परेशानियां होंगी। अब सरकार शरीअत में दखल देने के साथ ही मुस्लिम परिवारों में विवाद पैदा करने की साजिश रच रही है। इस तरह के प्रावधानों वाले बिल का समर्थन करने वाले राजनीतिक दल भी साजिश में शामिल हैं।
सजा का प्रावधान ठीक नहीं
शिया महिला बुद्धिजीवी डॉ. हिना अफशां ने कहा कि फौरी तीन तलाक खत्म होना या अमान्य होना सही था। यही मांग थी लेकिन सजा का प्रावधान कर केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं पर जुल्म किया है। जब तलाक माना नहीं तो तीन साल के लिए उसे और उसके बच्चों से दूर पुरुष को तीन साल की सजा क्यों। दहेज प्रथा कानून की तरह इस कानून का भी दुरुपयोग होने की आशंका है। कांग्रेस, सपा, बसपा जैसे दलों की खामोशी हैरान करती है।
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